पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/९५

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हिंसा की शब्दावलियो पा लिये सहारा क्यो वढते हो? अरे शस्त्र नज्जित हो कर क्यो मनुज मोक्ष के हित लडते हो? जग का अनाचार हम यो यने खून के प्यासे ? यदि जग रोता जाये तो क्या हम भो होगे यहा रुआंसे ? अरे, हमे तो शान्ति सौरय का देना है वरदान नरो को, ध्वस्त नही, निर्मित करना है, हम को गांवो को, नगरो को, आज ग्वून का नहीं अमिय या वपण फरने आओ, इस झगडे के नीचे अहो, पीर, यह जगत् उबारो, यहाँ पधारो, तानाशाहो को तोपो को सूर गरज लेने दो मन-भर- हम भी तो सोपा का चारा बने बडे है अडिग चरण घर, क्या इन तोपो के गर्जन मा है जवाव तोपो का नही, बन्धु, इराश जवान है सनिष्टो वा प्राण विसजन, गजन ? .२ हम विषपाया जनम -