पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/१००

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सैय्यद ने बिल्कुल ठीक कहा, उसलिए कि इसकी माँ के पास मुश्किल से डेढ़ हजार के लगभग बचा था। बाप दस हजार रुपये छोड़ कर मरा था; जिनमें से कुछ उसने फिजूल खचियों में नष्ट कर दिये और कुछ इधर-उधर खर्च कर दिये। हालाँकि सैय्यद ने इन रुपयों का उपयोग शारीरिक ऐय्याशी पर नहीं किया; अपितु उसको बचपन में निराले ही शौक़ थे। माँ से बहाने बनाकर या खुद सन्दूक से रुपया निकाल कर उसने चोरी-चोरी यानी बाहर ही बाहर कई साइकिलें खरीद ली और आनन्द की बात तो यह थी कि वह खुद साइकिल चलाना भी नहीं जानता था। उन साइकिलों को उसके दोस्त चलाते और वह खुश होता। इस प्रकार उसने घर से बहुत रुपया चोरी करके एक छोटी सिनेमा की मशीन खरीदी थी, जिसका मूल्य साढ़े तीन सौ के लगभग था, जिसे वह कभी भी नहीं चला सका।

हवा के घोड़े
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