पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/९९

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फरिया ने कहा--"तो मै भी दो-ढाई महीने तक यहाँ रहूँगी और इसके बाद कोटा चली जाऊॅगी। वहाँ मेरी एक बहन रहती है। उसके बाद फिर कहाँ जाऊँगी, इसके बारे में सोचना ही बेकार है? मेरे पास दो सौ रुपये थे, जिनमें से होटल आदि का किराया दे-दिला कर अब पूरे सौ बाकी हैं। इनसे क्या दो महीने गुजारा नहीं हो सकेगा?"

"हो जायेगा, लेकिन उस हालत में जब तुम फ़िजूल खर्च न करो। मेरे पास सिर्फ दो सौ रुपये हैं और मैने इन रुपयों से यहाँ ज्यादा से ज्यादा वक्त काटना है। जब अमृसर से चला था, तब माँ ने ढाई सौ रुपए दिए थे। मेरा विचार है कि ये ढाई सौ रुपए मुझे देकर और हस्पताल की फीस देकर उनके पास केवल डेड़ हजार बाकी बचा होगा, जो हमारी कुल पूँजी है।"

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हवा के घोड़े