पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/११२

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उसका नाम तो नहीं जानता; लेकिन वह मेरा दूर का रिश्तेदार है। अब बात फैलती-फैलती कहाँ से कहाँ तक फैल जायेगी, नहीं कह सकता?"

फरिया जोर से हँसी। फिर उसने अपनी हँसी रोक कर कहा--"बस इतनी सी बात को नोवल बना डाला सरकार ने। अजी हटाओ, कौनसी बात कहाँ तक फैलेगी? तुम बहुत बहमी हो। चलो, आओ, इधर मैं तुम्हारे गले पर मालिश कर दूँ।"

"क्यों?" सैय्यद अधीर होकर बोला।

"इधर-उधर की बातें शुरू कर दोगे, तो मुझे वह भूल जायेगा। तुम्हारा कल से गला खराब है, बस अब मैं कुछ न सुनूँगी। इम कुर्सी पर बैठ जाओ, ठहरो, कोट में उतारे देती हूँ।"

कोट और टाई उतार कर फरिया ने सैय्यद के गले पर तेल की मालिश करनी शुरू कर दी और इसमें वह कुछ देर के लिए उस आदमी वाली घटना को भूल गया।

जब फरिया को उसके भाव के बारे में यह जान पड़ा कि अब वह पहले से कुछ ठीक है, तो मालिश करते-करते वह बोली---"अरे, डिनर खाना तो हम भूल ही गये। तुम अफरा-तफरी में यहाँ भाग आए और सारा प्रोग्राम बिगड़ गया। हमारा ख्याल यह था कि सिनेमा देखकर हम 'अस्टफल' में खाना खायेंगे और इस तरह रविवार का दिन आनन्द-मय दिन के रूप में व्यतीत करेंगे। अब क्या ख्याल है? मेरा ख्याल क्या पूछती हो? चलो; लेकिन मुझे तो भूख नहीं है और फिर मेरा गला भी तो ठीक नहीं है।"

"तो ऐसा करो, भाग कर नीचे से डबल-रोटी ले आओ। थोड़ा सा मक्खन और पनीर यहाँ पड़ा है, जाम भी है। दो टोस तुम और

हवा के घोड़े
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