पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/१२४

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वितरक, फिल्म प्रौडक्शन के मैदान में आना चाहता था। मन्टो ने पन्द्रह-बीस-बीस मिनट की बातचीत में उसे कहानी बेच दी और उससे पाँच सौ रुपये नकदी ले लिये। बाहर आकर उसने ढाई सौ मुझे दिये और ढाई सौ स्वयं रख लिये--फिर हम लोगों ने अपने-अपने सूट के लिए बढ़िया कपड़ा खरीदा और अब्दुलगनी टेलर मास्टर की दूकान पर गये और उसे सूट जल्दी सी कर देने के लिए हिदायत दी। फिर सूट तैयार हो गये। पहन भी लिये गये। मगर सूट का कपड़ा दर्जी को देने और सिलाने के बीच, जो समय पाया उसमें हम बाकी रुपये घोल कर पी गये। इसलिये अब्दुलगनी का उधार रहा फिर भी उसने हमें सूट पहिनने के लिए दे दिये। मगर कई माह तक हम लोग उसका उधार न चुका सके।

एक दिन मन्टो और मैं कश्मीरीगेट से गुजर रहे थे, कि मास्टर अब्दुलगनी ने हमें पकड़ लिया। मैंने सोचा आज साफ-साफ बेइज्जती होगी। मास्टर अब्दुलगनी ने मन्टो को गिरहवान से पकड़ कर कहा-- 'वह 'हत्तक' तुमने लिखी है?'

मन्टो ने कहा--'लिखी है तो क्या हुआ? अगर तुम से सूट उधार लिया है तो उसका यह मतलब नहीं है, कि तुम मेरी कहानी के अच्छे समालोचक भी हो सकते हो। यह गिरहबान छोड़ो'। अब्दुलगनी के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट आई। उसने मन्टो का गिरहबान छोड़ दिया और उसकी तरफ़ अजीब सी नजरों से देखकर कहने लगा, 'जा तेरे उधार के पैसे माफ किये।'

वह पलटकर चला गया। कुछ क्षणों के लिए मन्टो बिल्कुल खामोश खड़ा रहा। वह उस तारीफ से बिल्कुल खुश नहीं हुआ। बहुत दुःखी और गुस्से से भरा नजर आने लगा। साला क्या समझता है-मुझे परेशान करता है--मैं उसकी पाई-पाई चुका दूँगा। साला समझता है

हवा के घोड़े
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