पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

खुश थे। वह व्यक्ति जो प्यार से बिल्कुल अनभिज्ञ थे। उससे बहुत अच्छा आराम और शान्ति का जीवन व्यतीत कर रहे थे।

प्यार और जिन्दगी एम॰ असलम की निगाहों से देखने वाले खुश थे। सैय्यद, जो प्यार और जिन्दगी को अपनी खाली आँखों से देखता था, दुःखी था...बहुत दुःखी...।

एम॰ असलम से उसे घृणा थी। इतना गन्दा और छिछोरा प्रेमी, तो उसकी नजरों से कभी न गुज़रा था। उसकी कहानियाँ पढ़कर उसका विचार कटरा धनियाँ की खिड़कियाँ देखने को दौड़ता, जिनमें रात को लाल रंग से रंगे हुए गाल दीख पड़ते। आश्चर्य है कि प्रायः लड़के और लड़कियों में इन्हीं की कहानियाँ दीख पड़ती हैं।

जो प्यार एम॰ असलम की कहानियाँ उत्पन्न करती हैं, किस प्रकार का प्यार होगा, जब वह कुछ देर विचार करता, तो इस प्यार में उसे एक बहुरूपिया दीख पड़ता। जिसने दिखावे के लिये अच्छे-अच्छे वस्त्र पहन रखे हों, एक पर एक...।

एम॰ असलम के विषय में उसका मन चाहे कुछ भी हो; परन्तु आधुनिक लड़कियाँ छिप-छिप कर पढ़ती थीं। जब प्रेम की आग बाहर निकलने लगती तो वह उसी आदमी से प्यार करने लग जातीं, जो सब से पहले इनकी निगाहों में आया हो। इसी प्रकार "बदज़ाद" जिसकी कवितायें भारत की जनता और बाई रात को अपने चौबारे पर गाती हैं। आज कल के युवकों और युवतियों में लोकप्रिय था, क्यों? यह उसकी समझ से बाहर था।

बदज़ाद की वह पंक्ति......

"दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे" जिसे प्रत्येक व्यक्ति गाता दीख पड़ता। उसके अपने घर में उसकी नौकरानी जो गधा-पच्चीसी

१६]
हवा के घोड़े