पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/२७

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देगा, जिसके ऊपर यह लिखा होगा।

'हाय! इस ज़दो पशेमां का पशेमा होना'

या कोई कवि दूसरा गीत लिख देगा। एक ज़माने तक तमाशबीन, जिसे कोठों पर तबले की थाप के साथ सुनते रहेंगे। यह गीत इस दंगा के होंगे--

मेरी लहद पे कोई पर्दा पोश आता है

चिराग़े गोरे-गरेबाँ सुबा बुझा देना।

इस प्रकार के गीत जब वह किसी गद्य में देखता, तो इस नतीजे पर पहुँचता कि प्रेम गौर-कंकन है, जो हर समय कंधे पर कुदाल रखे, प्रेमियों के लिये कब्रें खोदने के लिये, हर समय तैयार रहता है। इस प्रेम से वह उस प्रेम की तुलना करता, जिसकी कल्पना उसके दिमाग़ में थी; परन्तु जब उनमें धरती और आकाश-सा अन्तर पाता तो वह विचार करता कि या तो उसका दिमाग खराब है या वह नजाम ही खराब है; जिसमें वह स्वांस ले रहा है।

सँय्यद यदि कभी दुकान खोलता, तो उसे ऐसा अनुभव होता कि वह किसी कसाई की दुकान में दाखिल हो गया हो। प्रत्येक गीत की पंक्ति इसे बगैर खाल का बकरा दीख पड़ती; जिसका गोश्त चरबी के समेत बू पैदा कर रहा हो। प्रत्येक बात उसकी जबान पर एक खासमजा उत्पन्न होने का अनुभव करती, जब वह कोई गीत पढ़ता, तो उसकी जबान को वही अनुभव होता जो कुर्बानी का गोश्त खाते समय अनुभव होता था।

वह सोचा करता कि जिस प्रान्त में जनसंख्या का चौथा भाग कवि है, वह इस प्रकार के ही गीत लिखते है। प्यार सदा वहाँ पर गोश्ता के लोथड़ों के नीचे फँसा रहेगा। उस प्रकार की उदासी एक दो दिन

हवा के घोड़े

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