पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/३०

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उत्पन्न होता है; क्योंकि यह विचार एकान्त स्थान में पहुँचने से पूर्व ही उत्पन्न होता है, इसलिये अधिक लाभप्रद होता है।

सैय्यद इसको प्रायः बाज़ार में शहाबुद्दीन हलवाई की दुकान पर खीर खाते या भाई केमरसिंह फलों वाले की दुकान के पास फल खाते देखता था। उसे इन वस्तुओं की आवश्यकता थी। फिर वह जिस स्वतन्त्रता-पूर्वक फल और खीर खाती थी, इससे पता चलता है कि वह इनका एक-एक अंश हज़म करने का विचार रखती है।

एक बार सैय्यद शहाबुद्दीन की दुकान पर फालूदा पी रहा था और सोच रहा था कि इतनी सुन्दर चीज़ को, किस प्रकार हज़म कर सकेगा? वह आई और चार आने की खीर में एक पाने की रबड़ी डलवा कर दो ही मिन्ट में सारी प्लेट चट कर गई। सैय्यद को यह देख कर मन में ईर्ष्या हुई। जब वह चली गई तब शहाबुद्दीन के मैले अधरों पर मैली मुस्कान की रेखाएँ उत्पन्न हुई और उसने किसी को भी जो सुन ले पुकारते हुए कहा--"साली मजे कर रही है।"

यह सुनकर उसने उस लड़की की ओर देखा जो आँखें मटकाती हुई फलों की दुकान के समीप पहुँच चुकी थी। भाई केसर सिंह की दाढ़ी का मज़ाक उड़ा रही थी। वह सदा खुश रहती और सैय्यद को यह देख कर अत्यन्त खेद होता। भगवान् जाने क्यों? उसके हृदय में अद्भुत और गदले विचार उत्पन्न होते कि वह सदा प्रसन्न न रहे।

सन् तीस के प्रारम्भ तक वह इस लड़की के बारे में यही निर्णय करता रहा कि इससे प्यार नहीं किया जा सकता।

हवा के घोड़े
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