पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/३३

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होती तो शायद उसके कोमल विचार को धक्का न पहुंचता; परन्तु उसके शरीर के वह अंग नंगे थे, जो दूसरे छिपे हुए अंगों को अपने जैसा होने का आदेश दे रहे थे। राजो बिजली के खम्बे तले खड़ी थी। सैय्यद को ऐसा महसूस हुआ कि औरत के विषय में उसके सभी विचार धीरे-धीरे कपड़े उतार रहे हैं।

राजो की भौंडी और मोटी-मोटी बाहें, जो कन्धों तक नंगी थीं, घृणास्पद रूप से लटक रही थीं। मर्दाना बनियान के खुले और गोल गले में से ढलकी हुई', डबल रोटी जैसी मोटी और कोमल छातियाँ कुछ इस ढंग से बाहर को झाँक रही थीं, मानो सब्जी, तरकारी की टूटी हुई टोकरी में से गोश्त के टुकड़े दीख रहे हों। अधिक पहनने के कारण पतली बनियान के नीचे वाला भाग स्वयं ही ऊपर को उठ चुका था और नाफे का गड्ढा, इसके खमीर के आटे जैसे फूले हुए गेट पर ऐसे दिखाई देता था, जैसे किसी ने उँगली गाड़ दी हो।

यह दृश्य देख कर सैय्यद के दिमाग़ का स्वाद खराब हो गया। उसने चाहा कि खिड़की से हटकर अपने बिस्तर की ओर चला जाये और सब कुछ भूल-भाल कर सो जाये; किन्तु जाने क्यों वह सुराख पर आँख जमाये खड़ा रहा। राजो को इस अवस्था में देखकर उसके हृदय में घृणा के अंकुर जाग उठे; परन्तु इमी घृणा के कारण वह दिलचस्पी ले रहा था।

सौदागर के सब से छोटे लड़के ने जिसकी आयु तीस वर्ष के लगभग होगी, एक बार फिर प्रार्थना भरे स्वर में कहा--

"राजो! खुदा के लिये अन्दर चली आयो। मैं तुम से वादा करता हूँ कि फिर कभी नहीं सताऊँगा। लो अब मान जायो...देखो, खुदा के लिये अब मान लो। यह तुम्हारी बगल में वकीलों का मकान

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हवा के घोड़े