पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/३७

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करना होता है। आँसू भी दो प्रकार के होते हैं, अट्टहास भी दो प्रकार के। एक वह आँसू जो जबरदस्ती से निकालने पड़ते हैं और एक वह जो स्वयं ही निकल पड़ते हैं। एक अट्टहास जो नीरवता में गूँज सकता है, दूसरा वह जो खास अन्दाज और खास नियमों के रूप में ही गले मे निकालना पड़ता है।

कवि जिसकी सारी आयु वैश्याओं के चौबारे पर और मयखानों में बीती हो और मोत के बाद हज़रत मौलाना और रहमतालला ओलिया बता दिया जाता है। यदि दुर्भाग्य से इसकी जीवनी लिखी जाये, तो उसको देवदूत का रूप चढ़ाना, जीवन-चरित्र में साबित करना कलाकार अपना काम समझता है। आग़ाहुसन का सारा जीवन बुरे कामों में बीता हुआ; परन्तु मौत के बाद ही क्षणभर में इसके सारे करेक्टर को धोबी के घर भिजवा दिया और जब वापिस आया तो जनता ने देखा, तो उसमें कोई दाग़, कोई सलवट नहीं थी।

गधे, घोड़े, खच्चर, ऊँट, मतलब यह कि प्रत्येक जानदार और बेजान वस्तु को अच्छा कहना उसका धर्म है। लेखन-कला पर, कविता पर, इतिहास पर, प्रत्येक व्यक्ति के गले पर अच्छा-अच्छा बिठा दिया जाता है। बड़े से बड़े इन्सान से लेकर मास्टर निसार गवैये तक सब के सब सच्चे हैं। सैय्यद बिल्कुल ठीक था। राजो की सदा खुश रहने वाली आँखों में आँसू दीख पड़ें और उन आँसुओं की इखलाक से बेपरवाह होकर अपनी उँगलियो मे हुए। वह अपने आँसुओं का स्वाद भली प्रकार जानता था; परन्तु वह दूसरों के आँसू भी चखना चाहता था। खास कर किसी स्त्री के आँसू; क्योंकि स्त्री वृक्ष के रूप में शहद है। इसलिये उसकी इच्छा भी तेज हो गई।

सैय्यद को विश्वास था, यदि वह राजो के समीप होना चाहेगा, तो वह जंगली घोड़ी के समान बिदकेगी नहीं। राजो गलाफ़ चढ़ी हुई

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हवा के घोड़े