पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/५५

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किस लिये..काश! मैं इसका उत्तर देने योग्य होता। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, इसलिये कि तुम घृणा के लायक हो, तुम स्त्री नहीं हो एक सालम स्त्री की, एक बहुत बड़ी बिल्डिंग हो, परन्तु मुझे तुम्हारे सभी कमरों से प्यार है इस कारगा कि वे अस्त-व्यस्त हैं, गन्दे हैं..मुझे तुम से प्यार है। क्या यह अनोखी बात नहीं। यह कह कर सैय्यद मुस्कराने लगा।

राजो चुप थी, उस पर अभी तक सैय्यद की जकड़न और भयंकर चुम्बन का प्रभाव था। वह उठ कर कमरे से बाहर जाने का विचार कर ही रही थी कि सैय्यद ने फिर उसी प्रकार बुड़बड़ाना शुरू कर दिया। राजो ने उसकी ओर धड़कते हुए दिल से देखा। उसकी आँखे गीली थी । वह निष्पक्ष व्यक्ति से बातें कर रहा था। तुम ज़ालिम हो, मनुष्य नहीं अमनुप्य हो, मान लिया कि वह भी तुम्हारी तरह जंगली है; परन्तु फिर भी स्त्री है स्त्री यदि टुकड़े-टुकड़े भी हो जावे तब भी स्त्री ही कहलायेगी। भैंस और स्त्री में तुम कोई अन्तर नहीं समझते, किन्तु खुदा के लिये जानो और इसे अन्दर ले आओ। बाहर शीत में और बिना कपड़ों के इसका सारा खून जम गया होगा। मैं पूछता हूँ इसके साथ तुम्हारी लड़ाई किस बात पर हुई...खम्बे के नीचे केवल तुम बनियान डाले खड़ी थी और तुम...तुम...लानत हो तुम पर तुम समझते क्यों नहीं राजो स्त्री है...पश्मीने का थान नहीं जिसे तुम चर्ख चढ़ाते रहो..!

पहली बार राजो को मालूम हुआ कि उस रात वाले मामले को माँ जी का लड़का भी जानता है। इस कारण भी अधिक घबराई, लोग इसके और सौदागर भाइयों के विषय में तरह-तरह की बातें करते थे; परन्तु वह जानती थी कि किसी ने भी इसको अपनी आँखों से

नहीं देखा, इस कारण वह भयभीत न हुई थी, लेकिन अब इसके समक्ष

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हवा के घोड़े