के विषय में आज तक इसने नहीं सोचा था। वह केवल इतना ही जानती थी कि स्वर्गीय मियाँ गुलाम रसूल का लड़का किसी से अधिक बातें नहीं करता और सारा-सारा दिन बैठक में मोटी-मोटी पुस्तकें पढ़ता रहता है और वैसे गली के दूसरे लड़कों के विषय में तरह-तरह की बातें सुनती थी, किन्तु इसके विषय में केवल इतना ही सुना था कि बड़ा गरम मिज़ाज है और स्वर्गीय गुलाम रसूल से भी अधिक इमे अपने खानदानी होने का अभिमान है। इसके अलावा वह कुछ न जानती थी; किन्तु आज इसे मालूम हुआ कि वह इसके विषय में सब कुछ जानता है और...और इस से प्यार भी करता है...।
उसके प्यार का होना राजो के लिए दुःखदाई न था; किन्तु उसकी वह बात वास्तव में इसे कष्ट पहुँचा रही थी कि उस रात जब वह गुस्से के कारण दीवानी हो रही थी, तब उसने सब कुछ देख लिया, यह शर्म की बात थी। अधिक सोच-विचार के बाद उसके हृदय में यह भाव उत्पन्न हुए कि माँ जी का बड़ा लड़का वह सब कुछ भूल जाये और इसने यह कहना शुरू किया---"खुदा कसम!...अल्लाह कसम...पीर दस्तगीर की कसम...यह सब झूठ है, मैं मस्जिद में कुरान उठाने के लिए तैयार हूँ। जो कुछ आप समझते हैं, बिलकुल गलत है,मैंने अपनी मरजी से उनकी नौकरी छोड़ दी है। वहाँ काम अधिक है, मैं दिन रात कैसे काम कर सकती हूँ? चार नौकरों काकाम मुझ अकेली से भला कैसे हो सकता है, मियाँ जी?"
सैय्यद बुखार के कारण बेहोश पड़ा था। राजो अपने विचार के
अनुसार जन सब कुछ कह चुकी, तब उसके दिल का बोझ कुछ हल्का हुआ; लेकिन इसने सोचा---एक ही सांस में जितनी झूठी कसमें खाई है, शायद नाकाफ़ी हों और इसने फिर कहा---"मियाँ जी पाक परवर-