पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/६१

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रोगी की देख-भाल भी ठीक प्रकार से हो सकेगी और दवा-दारू भी समय पर मिलती रहेगी, इसके अलावा समय कुसमय अच्छा डॉक्टर भी मिल सकेगा; किन्तु उसकी माँ न म नी; क्योंकि हस्पताल के नाम से उसे घृणा थी; परन्तु जब उसके लाडले बेटे ने हस्पताल में दाखिल होने का निश्चय किया, तब हृदय पर पत्थर रख कर चुप हो रही; क्योंकि आज तक उसने अपने बेटे की कोई भी बात को नहीं ठुकराया था? चुनांचे निमोनिया होने के दूसरे दिन ही डा० मुकन्द लाल भाटिया बड़ी हिफाजत से सिविल हस्पताल (Civil Hospital) में ले गये और वहाँ सुविधा-जनक वार्ड में दाखिल करा दिया।

हस्पताल में सैय्यद कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गया। निमोनिया का हमला बड़ा भारी था, फिर भी वह बच गया और बुखार आदि सभी दूर हो गए। हस्पताल के कमरे में; जिसकी प्रत्येक वस्तु सफेद थी उसकी आत्मा को शान्ति प्राप्त हुई, चूॅकि राजो वहाँ न थी। इस कारण उसके हृदय पर जो बोझ सा आ पड़ा था, बहुत कुछ हद तक दूर हो गया और वह पूर्ण-स्वस्थ होने की प्रतीक्षा बड़ी बेचैनी से करने लगा; लेकिन यह निश्चय था, वह घर में नहीं रहेगा, जहाँ राजो रहेगी। वह इस स्त्री का रहना सहन नहीं कर सकता था। इसको देखते ही उसके मन में खलबली मच जाती थी। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं कि वह उसके प्रेम में बुरी तरह गिरपतार हो गया था; किन्तु वह उसके प्रेम को सदा के लिये समाप्त कर देना चाहता था...।

मालूम था कि यह काम बहुत कठिन है; परन्तु वह इस कार्य में पूर्ण-रूप से सफलता प्राप्त करने के लिये चेष्टा कर रहा था और उसने इस बीच में स्वयं को धीरे-धीरे इस बात का विश्वास भी दिलाया था कि राजो को भूल कर, वह ऐसे काम करेगा; जिन्हें आज तक कोई भी न कर सका हो?

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हवा के घोड़े