पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/६२

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हस्पताल में दाखिल होने के आठ दिन बाद, अधिक कमजोरी होते हुए भी सैय्यद अपने आपको बहुत, स्वस्थ समझने लगा। सवेरे जब सफेद-पोश नर्स ने उसके बुखार को थर्मामीटर द्वारा देखा, तब सैय्यद ने मुस्करा कर कहा----"नर्स! मैं तुम्हारा आभारी हूँ, तुम ने मेरी बहन सेवा की है। काश! मैं इसका इनाम तुम्हें प्रेम के रूप में दे सकता।" एंग्लो इंडियन नर्स के अधरों पर एक पतली सी मुस्कराहट फैल गई, आँखों की पुतलियों को मिचका कर, उसने कहा---"तो क्यों नहीं करता करो?"

उसने बगल से थर्मामीटर निकाल कर नर्स को दिया और उत्तर में कहा---"मैं हृदय के द्वार सदा के लिये बन्द कर चुका हूँ, तुम ने इस समय खटलटाया है। जब घर का मालिक हमेशा के लिये सो गया है, तो मुझे खेद है कि तुम इस योग्य हो कि तुम से आइडो-फार्म की तेज बू समेत प्यार किया जाये; लेकिन इट् इज़ टू लेट माई डियर।"

नर्स हँस पड़ी और ऐसा लगा कि हार का धागा टूटने के कारण मोती इधर-उधर बिखर गए हैं। इसके दाँत बहुत सफेद और चमकीले थे...सैय्यद नर्सों की कमजोरी से जानकार था। इसलिये उसने बड़े मज़े के साथ कहा--"नर्स! तुम अभी पूरी जवान कहाँ हुई हो...? बहार आने दो, एक छोड़ पूरी दर्जन तुम्हें चूसने के लिए चक्कर काटेंगी...लेकिन उस समय मुझे भूलना नहीं, याद कर लेना, जिसने हस्पताल में तुम्हारी पिडलियों की एक बार प्रशंसा की थी और कहा था कि यदि चार होतीं, तो मैं अपने पलंग के पायों के स्थान पर लगाता।"

नर्स ने तख्ती पर टैम्परेचर नोट किया और "यू नौटी ब्याय" कह कर अपनी पिंडलियों की ओर दाद भरी दृष्टि से देखती हई बाहर चली गई।

हवा के घोड़े
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