पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/६४

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ममता में उसको प्रसन्न कर जाती, दोपहर को सोकर या पत्र पत्रिकाएँ पढ़ कर समय कटा करता; जिनका ढेर खिड़की में लग गया था।

जब सैय्यद को छुट्टी मिलने का समय आया, तब डाक्टर, नर्स, सेवक और हस्पताल के एक दो नौकर भी उसके कमरे में उपस्थित थे। दो भंगी इनाम लेने के लिये खड़े थे, बाहर फाटक पर टॉगा खड़ा हुआ था, जिपमें उसका नौकर गुलाम नबी बैठा प्रतीक्षा कर रहा था, जैसे वह लन्दन जा रहा है या लन्दन से वापिस पा रहा है और उसके मित्र उसको विदा करने या लेने के लिये आए हुए हो।

नर्स उसको बार-बार कह रही थी--"आपने अपनी सभी वस्तु अटैची में रख ली है ना?...और वह बार-बार इसका उत्तर दे रहा था--"जी हाँ रख ली है।"

नर्स फिर कहती थी--"वह आपकी घड़ी कहाँ है? देखिये कहीं गदैले के नीचे ही पड़ी न रहे।"

इस पर उसे कहना पड़ा--"मैने उठा कर अपनी जेब में रख ली है।"

"और आपका पैन?"

"वह भी मेरी जेब में है।"

"और आपकी ऐनक?"

"वह मेरी नाक पर है, आप देख सकती हैं।"

नर्स ने सैय्यद की बहुत सेवा की थी; जिस प्रकार कोई छोटे-छोटे बालकों का ध्यान रखता है। इसी प्रकार सैय्यद का ध्यान रखती थी और अब, जब कि वह हस्पताल से जा रहा था। वह उसको इस

हवा के घोड़े
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