पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/६८

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जब घर पहुँचा, तो उनके साथ अतिथियों का सा बर्ताव हुआ, नये टी-सैट में चाय दी गई। अन्दर कमरे में नया फर्श बिछा दिया गया था, कुर्सियों पर नई गद्दियाँ रखी थी। पलंग पर वह चादर बिछी हुई थी; जिस पर उसकी माँ ने मेहनत से तारकसी का काम किया था। प्रत्येक वस्तु अपने-अपने स्थान पर रखी गई थी और कमरे में ऐसा वातावरण पैदा हो गया था, जैसे शुक्रवार को मस्जिद में नमाज के समय देखा करते हैं।

चाय पी कर, वह देर तक अपनी माँ के पास बैठा रहा। मुहल्ले की सभी स्त्रियाँ एक-एक कर के आई और सैय्यद के ठीक होने की खुशी में उसकी माँ को बधाई देकर चली गई। जब फकीरों को पाँच रुपये के पैसे बाँटने का समय आया और मुहल्ले में शोर मच गया, तब सैय्यद उठ कर अपनी बैठक में चलाा आया।

गुलाम नबी ने कमरे को बहुत ही अच्छे ढंग से साफ़ किया हुआ था और सभी खिड़कियाँ खोल रखी थीं। सैय्यद की माँ को पहले ही मालूम था कि वह अपने ही कमरे में जाकर बैठेगा, सिग्रेट का नया-टीन तिपाई पर रखा था और पास ही नई माचिस पड़ी थी।

जब कमरे में प्रवेश किया, तो उसने अपनी सभी वस्तुओं को अपने-अपने स्थान पर लगा हुआ देखा। उस कबूतर तक को, जो बारह बजे तक उस के बाप की बड़ी तस्वीर के भारी फ्रेम पर ऊँघता रहता था।

थोड़ी देर तक वह साफ-सुथरी दरी पर नंगे पाँव टहलता रहा। इतने में उसके मित्र आने शुरू हो गये। दोपहर का भोजन भी वहीं किया गया, जो कि स्वास्थ्य के अनुकूल था; परन्तु फिर भी हस्पताल से बहुत अच्छा था। भोजन करने के बाद सिग्रेटों का दौर, चला और,

हवा के घोड़े
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