पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/६९

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देर तक गप्प-बाजी चलती रही। इसी बीच में अब्बास ने कहा--"अमां हस्पताल की वह "रसीद ने हँस कर कहा--"आपका डबल निमोनिया बिना दवाई के वैमे थोड़े ही उतर गया, कुछ नर्स अमृत-धारा होती है।" अब्बास को रसीद की बात बहुत जँची। "वाह अल्लाह क्या बात कही है नर्स और अमृत-धारा मैं समझता हूँ..सैय्यद आधी बोतल तो खत्म कर ही दी होगी तुम ने..? भाई इस प्रकार की दवाइयों का फ़िजूल में इस्तेमाल नहीं किया जाता..?" सैय्यद को यह गप्पें बहुत अच्छी लगी। इसी कारण उसने भी इनमें भाग लिया। क्या विचार है तुम्हारा हस्पताल में शायद ही कोई उस जैसी तेज नर्स हो भाई हस्पताल वालों की दाद तो देनी ही पड़ेगी कि उन्होंने मिस फरिया को मेरी देख-रेख पर लगाया..वैसे तो इस नगर में किसी स्त्री की नंगी टाँगें नहीं दीख पड़तीं और अब तो मर्दी भी अधिक है सब टाँगे मोटे-मोटे गलाफों में रहती है, इसलिये उसकी नंगी पिंडलियों ने बड़ा आनन्द दिया..किन्तु तुमने उसकी पिंडलियां नहीं देखीं...? अब्बास बोला--"क्या मशहूर जगहों पर मिलना ठीक है?"

इस पर सैय्यद कुछ देर शान्त रहकार, बोला--"भई मज़ाक खत्म; किन्तु उसने मेरी बहुत सेवा की है। बालक समझ कर मेरी दवा-दारू करती रही है। छोटी से छोटी चीज का ध्याग रखती थी। कभी-कभी मेरा मुंह भी धुलाती थी, नाक भो साफ करती थी, जैसे मैं बिल्कुल ही अपाहिज हूँ। मैं उसका आभारी हूँ। मेरा विचार है, उसको इनाम के रूप में, एक साड़ी दूँ। एक बार उसने कहा था, उसे साड़ी पहनने का अधिक चाव है। क्यों अब्बास तुम्हारा वया विचार है?" अब्बास कहा--"नेकी और पूछ-पूछ; किन्तु शर्त यह है कि साड़ी लेकर मैं जाऊँगा...ठीक है और यह भी फैसला हो गया कि साड़ी सफेद होगी, क्योंकि यह रंग उसे बहुत ही पसन्द है...।"

इसलिये दूसरे दिन गोकुल मार्केट से अब्बास और सैय्यद ने एक

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हवा के घोड़े