पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/८५

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अब्बास उसकी बात पर मुस्करा उठा, उसने कहा--"लेकिन मुझे तो बहुत से काम करने हैं।"

"यहाँ तुम्हें कौन से काम करने है?"

"एक हो, तो बताऊँ, सैकड़ों है। मान लो मुझे एक दो लडकियों से प्यार करना है और एंगलो इंडियन लड़कियों से बात-चीत करने के सारे तरीके सीखने है। कुछ थोडे़ से सस्ते बाजारू ढंग के मखोल भी याद करने है और दस-बीस घटिया और सस्ते नोबल भी पढने हैं? और और नही! बस अब अपने 'प्लान' के बारे में क्यों बताऊँ? तुम जाओ। मैं यहाँ अपने मनोरजंन के लिए कुछ न कुछ तो पैदा कर ही लूँगा! बस पत्र लिखते रहना; लेकिन जाओगे कहाँ?"

सैय्यद ने सोचा। वास्तव में वह जायेगा कहाँ? ऐसी कोनसी जगह है, जहाँ वह आराम से कुछ दिन काट सकता था। होटल में रहना उसे अच्छा न लगता था और सम्बन्धियों के यहाँ तो बहुत ही बुरा लगता था; क्योंकि उसकी आजादी में किसी न किसी प्रकार की रुकावट पैदा हो सकती थी। यह सब कुछ उसके दिमाग में था, लेकिन अमृतसर छोड़ो का आन्दोलन अब तक उसी रूप में जोर पकड़ रहा था। वह खुद जाना चाहता था; परन्तु गजब की बात यह है कि राजो को अपने हृदय से निकालने का प्रश्न अभी तक इसके दिमाग में नहीं आया।

वास्तव में इतना सोचने-विचारने के बाद भी वह कुछ फैसला तो न कर सका; किन्तु यह अवश्य था कि वह कहीं न कहीं चला जावेगा?

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हवा के घोड़े