पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/८६

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अमृतसर से लाहौर केवल तीस मील की दूरी पर बसा हुआ है। मन्द से मन्द चलने वाली गाड़ी भी आपको एक घण्टे में लाहोर फैंक देगी, वास्तव उसने अभी तक अमृतसर नहीं छोड़ा था; परन्तु अब कभी अमृतसर से चले जाने की कल्पना उसके मन में उभरती, तो वह अपने आग को लाहौर में पाकर ऐसा महसूस करता, मानो यहाँ राजो से उसे अब किसी प्रकार का भय नहीं रहा?

अन्त में एक दिन उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया। माँ ने उसको बहुत रोका; किन्तु वह अपनी बात का पक्का था। एक रोज हस्पताल से घर वापिस पाने के चौथे दिन ही वह अपना थोड़ा सा सामान बाँधकर चल पड़ा। लाहौर में इमके तीन-चार सम्बन्धी भी रहते थे। उनसे मिला भी; किन्तु उनके यहाँ कुछ देर ठहर कर चला आया। सम्बन्धी भी कुछ ऐसे ही थे; किन्तु सैय्यद फिर भी प्रसन्न

हवा के घोड़े
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