पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/९३

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कर दिया---"फरिया माफ़ करना! तुम एक नासमझ इंसान के पास आई हो। तुम समझती हो, मैं औरतों के विषय में भली प्रकार जानता हूँ। खुदा जानता है, तुम सच में पहली लड़की हो, जिसके साथ मैं खलकर बातें कर रहा हूँ। हस्पताल में तुम से जितनी भी बातें हुई थी, वह सब दिखावा था। इसी कारण मैं एक ऐसी औरत समझ कर बातें करता था, जिसके साथ बिना जवाब के बातें कर सकता हूँ। तुम हमारी सोसायटी को नहीं जानती, हम लोग सिर्फ अपनी माँ और बहन के अलावा दूसरे किसी को नहीं जानते, हमारे यहाँ मर्द और औरत के बीच में एक बड़ी भारी दीवार खड़ी है? अभी-अभी मैंने तुम्हारी कलाई पकड़ कर तुम्हें चारपाई पर बिठाया। जानती हो, मेरे बदन में एक हलचल सी मच गई थी। तुम इम बन्द कमरे में मेरे पास खड़ी हो , जानती हो मेरे ख्याल दिमाग़ में बाँटे के समान खटक रहे हैं। मुझे भूख लग रही है, मेरे पेट में हलचल मच रही है। इस रूह और बदन की शाल एक समान हो गई है। तुमने अपने प्रेमी की बात कही और मेरे दिल ने ख्वाहिश जाहिर की कि उठ कर तुम्हें दिल से चिपका लूँ और इतना भीवूँ , इतना भीवू कि खुद बेहोश हो जाऊँ; किन्तु मैं अपने को वश में रखने का आदी हूँ। इसलिए मैं कितनी की तमन्नात्रों को कुचल चुका हूँ, तुम ताज्जुब में क्यों हो? मैं सच कहता हूँ, औरत के विषय में अब तक मेरी कोई भी तमन्ना पूरी नहीं हई। तुम सब से पहली हो; जिसे मैंने इतना अपने पास देखा, यही कारण है मैं मैं और पास आना चाहता हूँ; किन्तु किन्तु मैं शरीफ़ आदमी हूँ, मैं तुम से प्यार नहीं करता। पर इसका मतलब, यह नहीं कि मैं तुम से नफ़रत करता हूँ। यानी मुझे तुम से प्यार नहीं, इसलिए तुम्हारे प्रति खिंचाव नहीं, यह बात नहीं है। प्यार प्यार में नहीं समझ सका कि यह प्यार कौन सी आफ़त का नाम है? तुम्हें आश्चर्य होगा, मुझे एक ऐसी औरत से प्यार है, जो प्यार के लायक ही

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हवा के घोड़े