पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/९४

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नहीं। मुझे उससे घृणा है। खुदा कसम! उसके नाम से ही नफरत है; किन्तु मुसीबत यह है कि इस नफरत ने मेरे दिल में उसके प्रति प्यार के अंकुर बो दिये है।"

फरिया ने पूछा---"कौन है वह लड़की?"

"कौन है! तुम उसे जान कर क्या करोगी? एक मामूली लड़की है, जो बहुत समय पहले औरत का रूप धारण कर चुकी है। उसका दिल और दिमाग़ हर किस्म के लुत्फ़ से ग्वाली है। वह हाड़ और माँस की पुतली के समान है, इसमें अधिक कुछ भी नहीं। मेरे घर में नौकर है, पहले किसी और की नौकरी करती थी? मैं इसी कारण अमृतसर छोड़ कर चला आया हूँ। उसे देख कर मेरे सीने में आग धधक उठती है। मैं चाहता हूँ कि अपने ढंग से प्यार करूँ; किन्तु वह वह मिम फरिया! खुदा के लिये मुझ से न पूछो कि वह प्यार को क्या समझती है? मैं जानता हूँ समभता हूँ कि प्यार में सभी बातें ठीक हैं, जो उसके दिमाग़ में है; किन्तु मैं यह भी तो चाहता हूँ कभी कभी किसी अच्छी बात पर, किसी शायर की लाइन पर, किसी तस्वीर के चित्र को देखते ही तड़प उठे; किन्तु उसकी आँखे इन सभी चीज़ों के लिये बन्द है। मैं दिमाग में सोचता हूँ, वह पेट से सोचती है। वास्तव में सारा झगड़ा यह है कि में उन से प्यार करता हूँ और उसने प्यार के लिये मेरे दिल के किवाड़ दूसरे प्यार के लिये बन्द करा दिये हैं, मुझे हमदर्दी की जरूरत है।"

यह कह कर सैय्यद, मानो सारा बोझ उतार कर चारपाई पर हाँफता हा वैठ गया। मिस फरिया ने इसकी कमर पर यूँ हाथ फेरा, जैसे बच्चे को दिलासा देते है। सैय्यद को फरिया की सहानुभूति से आत्मिक सान्त्वना मिली। उसकी माँ प्राय: उसकी कमर पर ऐसे ही हाथ फैरा करती थी; किन्तु फरिया के हाथ में कुछ और ही आनन्द

हवा के घोड़े
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