पृष्ठ:हवा के घोड़े.djvu/९७

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अब सैय्यद कुछ अधिक घबड़ा गया था। उसने कहा--"मिस फरिया! मिस फरिया!"

फरिया ने हटकर इसकी ओर देखते हुए कहा--'तुम बीमार हो! तुम्हें एक नर्स की जरूरत है।"

अपनी घबराहट को छुपाते हुए, सैय्यद ने मुस्कराने की कोशिश की और फरिया से कहा--"मुझे सिर्फ एक नर्स ही नहीं; इसके इलावा बहुत सी चीजों की जरूरत है; मगर मसीबत यह है कि सब चीज़ हासिल नहीं होती। मैं...मैं तुम से पहले भी कह चुका हूँ कि कितनी ही तमन्नाऍ दिल में अपाहिज़ हो चुकी हैं। मेरे बहुत से रूगाल लंगड़े हो चुके हैं।...अब तो यह हालत हो चुकी है कि जिसे मैं खुद भी नहीं समझ सकता कि मैं क्या हूँ और क्यों हूँ? एक चीज की ख्वाहिश करता हूँ; पर साथ ही यह भी चाहता हूँ कि इस ख्वाहिश को जाहिर न करूँ। इन में मेरा भी और कुछ बैठक (सोसायटी) की भी गलती है। मैं एक बहुत बड़ा आदमी होना, यानी मेरे अन्दर हर एक तरह की बर्दाश्त करने की ताकत होती, तो यह दूसरी बात है; लेकिन अफसोस है कि मैं एक मामूली मा आदमी हूँ; जिसमा दिमाग़ ऊँचे स्थानों पर उड़ान करना चाहता है, यह कितनी बड़ी 'ट्रेजडी' है?"

फरिया ने उसकी बात सुनी और कुछ देर बाद बोली--"लेकिन मैंने तो कभी भी अपने आपको मामूली औरत नहीं समझा। शायद है, कि सारी मुसीबतों की यही जड़ हो। मैं हमेशा यही सोचती आई हूँ, कि में मामूली औरत नहीं हूँ। मुझ में मुहब्बत करने की ताकत दूसरी औरतों से ज्यादा है; लेकिन आश्चर्य की बात है कि मैं किसी एक आदमी को हमेशा के लिए रखने में कामियाब न हो सकी? मेरी समझ में नहीं आता कि आदमी औरत से क्या चाहता है?"

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हवा के घोड़े