पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

की समानता के सामन प्रस्तुय करके समको उप हो और यह समिति मति पाँच वर्षों के लिये नियत योग में सावे । निरीक्षकों को अधिकार को किस की जाया करे। समिति के सदस्यों से पत्र व्यवहार कर सहायता "-मबार लिक युके हैं कि ज्युस प्रदेश और परामर्श से अयमा सयारक सारा फिसाजिदो निरीक्षकों की भावस्यकता है। इस विपप को समिति के सम्मुख पभित करें। यहाँ भवरण में दो पारो का होना भी भावस्पक है। ठक संमप हो पानयवहार द्वारास समिति का | परतु यह तमी हो सकता है जब ऐसा करने के कार्य हो, पर भावश्यकता परन पर इस मधि- लिये प्राधापक धन प्राप्त हो । जब तक यह न हो, पक हो निरीक्षक वा एकही पसंद से काम “हम लोगों को सम्मति में निम्नलिखित महर- खिया जाय। एजेंट का वेतन कम से कम 4-3) शप इस समिति के सदस्य हो- ६०) मासिकबामा चाहिए । पर इस (1) साकूर पर जाए. मिपर्सन, कपर, पोग्पता का हो किषहीरी साहित्य का अच्छा भरे, बाम रखता हो सपा प्राचीन खोबके काम में (२) रामबहादुर परित गौरीशकर हीरापन इसका महसमता हो । यदि यह मैंगरेजी जानता भोमा, भड़मेर। हो तो उसम है, पर पा मावश्यक नहीं है। पर (१) मीयुत् काशीप्रप्तार सायसवाल पम प.. का भत्ता उसके नये को समझकर मियत करना (७) परित स्पामविपारी मिभ पम पगोडा साहिए जिसमें उसे इस काम में अपने पास से ५)परित चद्रपर शमां गुजेरी बी पान म्पय करना पड़े। मामेर। (१) मुंशी देवीप्रसाद जोपपुर। "महाभारस्पक है कि एजेर कम से काम (७) मा सामाधदास वीर, भयोम्पा। महीने घूम घूमकर अपना काम करे और तीन महानिरीकपास राकर कार्य का विष (1) परित गुरुदेव विहारी सिध पीप, रख भावि सिपने में उसकी सहायता करे। (बा श्यामसुरवाम बी प..बनक। ६-सरबा प्रियर्मन में अपने २९ सियर इस समिति के नियोजक वा श्यामसुवरदास सन् १९५ के पत्र में भी मिलिए है. उनके r

  • 1 am doable to agree with those who couldes that the Reports la thels

present form are vilteless On the contrary, I think that they have very con Hiderablı Tulut 13 works of tofercict, and I have atito tued them sayoell od detised Auslandce from them I consider, boterer, ibat ibey ute capable of fr:provement M1 to their con looks and would, tu regard to this polat, suggest that Ibo late Dr Raleodra Lal ultra's Notices of Saksersi Mss published by the Govern Dept of Bengal, could