पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ 8 ] मियाससी की गारी-भिमाधी करा लि० | पदास--स० १७६ * लगमग वर्तमान में RIOR बिबस्सों में गाने के पदों शि परिवछ अवमासी के शिप जान का समा।०(८-२०७भी) पियासली की पानी-प्रियासपी रुत वि० हरिवंशी सादे०-२०१५) सभा का सपना ० (५-२०३५) परिषदे० (-२०१दी) प्रीतम-उप मतीमुविमा कागरानिपासी, प्रेमवास-ये स्वामी रामानुर के अनुयायी थे, स० १९८०केक्षणमा पर्वमान । इन विषय में भौर पर मीनाव नहीं। बाम बाईसी (प-७०) प्रेम परिचय दे०-२२६) पीधिनीमनी लीशा-भुषास कृता वि० सम्म दिशातिमा दे० (-२२६ बी) यस्प बम । ० (-) (-18) मपत शिरा ० (-२२४) श्रीनि-मार्पना-कपानिवास कता शिमर के मेम-दीपिका-अमन्य (मलर मनम्म) स्व शिकार मति प्रेम, दिनप और उपदेश वर्षमा २० स० १६० वि० सपो के ना मागमन की (३-१४ सौ) कथा का पसेन । २० (-१)(२त्री) अमन्दरग-ईवच (प) कता पि० प्रेम और मेम-दीपिका-और कपि स्वामि० ० सं० माविश्व मेद का वर्णन । दे० (-18बी) मालिका.80 सरी प्रतिक मेम-तरंग परिका-देवत (देव) हत, मि० का लिका००१०मि०रुपए मोपी सपोग, २०१७ का० स०१0षि मेम छप्प को गोपियों का रेसा और हम पारप मे पर्मन । २० (-) (-१२२) गरिमयी-विवाहबना दे० (-१४०) मेमन्तरंगिनी-अमौनारायण का कि का० मेम-पयोनिषि - मृगत कता लि.का. स. सविस्पोऔर गोपियों का सवार १४१२ लि0 का० सं० १६१ वि० गत बना०(-३६) प्रमाकर और पा सहपालकी या की प्रेम-दर्शन-रेववत (1) कवा, शि मक कया। दे० (-) वि० भीरुप्य मति गोपिरो कर प्रेस परिधए-पास कता वि० पा का पन दे०(ब-१४५) कमर की प्रेम-परीशमा। दे० (-२) प्रेमयास-वाति के मरवाक वैश्प, मइया भेग परीशाय नायक का विका निवासी०१५ सपमा वर्तमान थे। धारा कृष्ण के प्रेम की परीवाने का वर्णन। प्रेमसागर -R) २०1-88) भारत की कथा (6-0बी) मेष मकाश-पसार विनि काम परम पीना देव (-३सी) १ लि.का. स. (पि. रामा गौर (क-२) और कस्कर मेम पन...(२०)