पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

< सिरमौतम-नापन निमात्र, तपापक्षमी रसिक घबर-1 परसाहसुखलाम के संपवाय के सपने। पुष, माहि कारण से 1EDE हमा सरवत दे० (-२३४) पर्तमान, जयपुर जया महाग राममिके रसिरमोरनाम्परघुनाए नि ,लिका माभित। समापिस प्रसकार बना दे. ६) रजि० (१२५) रसिक रंगनी-अवलसिंह (प्रधान) | मि० मा दिपा भात पिमी रामायदे. संकि... वि.सुप्र- (PRE) व पर्युन । ३० (E-सी) रसिक सुपोधिनी रीका-लामकोसिकशरण रसिकरमान-भारममि ra हि. का स. नामि. काशि.10a १८६६ वि अपर पर्समा ३० (44) १६. यि-मामीन मकमास पर टीधा रसिकराय-समझे विषय में कमी मात नाही, मडक निवासी ग्राम पड़ते हैं। रसिक पति-पास के गुमा १५ प्रबका दे(प-१४) खामगठमा ममियरस पाचपी मर गीत दे० (6-81-15) सप्रदायक अनुपाणीथे। रसिक पm.(-116) कार मय दे० (-२५) रमिमीनोद प्रय-शेखर कसा निकारास मगर (सोला)-भुषदास हसा निका. सर पि० सरह मतानुसार वरस समिपास का बिहार पन। ३०(2-१२)(-३) रसिकरितास-पार कमि एव निका० स० रासत-भुपासाविसमाप्त विहार १२५ लि का०.totra गायिका प० (-३ ग्यारह ) (-17) मेव पक्ष । ०१५-६३)(मि का संरास लारनी-अपलसिंह(पपानीकता मि १५० भयर है।) ०९:२१ लि.का निकट रविक-रिलास-मोखराब नायिका की का वर्णन (आर) भेद वर्गम । ३० (-) रास लोया-रामा देवीसिह, विभीकृष्ण रसिक-विकास-मममेए (समनसित) मरास-बीहारे वर्णन । दे. (सी) मि का सिर से रक्षा रास्योपास्पध-पामहरी स्वामि राम बिमापिकामे मा०(इ-२२७) और डीसा के प्रेम का वर्णमा(-१) रसिकमिहारिनदास-वे कोई सराय एमके राप निरूपन-धरम मिम वि.संगीठ । विषम में और भी भाव नही। रागमा-पोवानेवन सामामि