पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१८२

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सम्माद्रिदे(-1) पर भौति एतादे० (-६५५) सपीति शहा (६-५ो) सपण शवक-मान (समान कषि) रुख, नि. To do 1814, o go t£89, E60 पति प्रकाश ० (-६५सी) का १६५२ मोर ठीसरी का स.o पर्म मार दे०(ब-जी) वामण मीर मेघमाद के युर का पर्णन । ६० चघमासेन पदमापती कपा-दामा त नि. का० स०१५१६ निमा० स० १९६६ विय पवमायटी की कथा का वसन। २० (क-म्) लक्मणशरण-उप० मधुकर ये प्रयोग्या से पमाबुन संप्रदाय के पेपर साधु । जयपीचंद-मोहमक्षा के पुमा परबारी (धुरेश सर) निवासी सं० १५१६ सामगपत रामीमा चिार बार दे० (-१६५) माम आति के प्रामप, मोइमता ने अपने सत्रण देगार-मतिम त्रिपाटी फता लि. हाम्ही पुन (सवमीच) तिव भूगार सागर का०स०१७ पिन्हाप भाष वर्मनादे० प्रप की रचना की थी(4-७०) (-१४ी) इक्ष्मीपद-ये को रामकुमार , काशीराम मणसिंह-दीपान सिंह के पुत्र मोरया कयि के मानपदासा) औरंगजेब के समकालीन निवासी, वहरीली के बागीदद स. १७६३ थे।वे० (प-) रेलगमग पर्वमान, शाहबू पंडित के मामय सक्ष्मीनाप-स. १८८३ बगमार वर्तमान गावा दे(-1) जापपुर निवासी, गोपपुर मरण माराम जमणासिब प्रकाश-वाह परित भय, नि. मानसिंह के प्रापिता दोमानाप के पुत्र, का० सं० १०, सिका०सं०१७६ वि. पाहण के पौत्र और योग अपप्ण के म्योतिपादे० (१-१००५) प्रपौत्राये जाति के पुष्करणा मारये। स्मण सिंह प्रधान-स० १८६० के लगभग राजविस दे० (-२) बर्तमान, जाति के कायम रीकमगढ़ मगर रिजारा दे० (प-२३) निवासी मनसिंह के साभित्र ये। सत्मीनारायण-काशीराब कवि के पिता । ३० ममा विमोर (-10 रपरि भोर दे० परि०१-६३) खमीनारापण-इनके पिपप में कुछ मी शास पतिवार परिणाम दे० खरमणसिंह रामा-विशावर (वेलवर) मरेण, पसली (ब-१९३) १० 48val म्होने | सक्ष्मीनारायण विनोद-काशी नरेश येतदि र और संरहत रोगों भाषाभी, मैरवना कत, मि० स०१०वि० मझबात का पएम।१० (-४) माही। . राम्पका