पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१९०

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( 140 ) हिन्दी कासरचना नियमादि । तुलसीप रामायण के शाकारको रोका। (2)(अ-सो) दे०(3-२०२ एफ) बिनोदय दिशा-अम्प नाम रविविनोद रस मिरमिवारि (सी)--कर अमरसिंह के पुत्र पद्रिका पद वक्ष्यमा लामिका साहेबधीन की पक्षी, गसपास (ौरपुर ) स१७ का080१८६०वि०मापिका मिमासिमी,सं.१९०५ केलाभग वर्तमान पी। मेरपर्णा(प-२१८) लीविगत(-१६) पिनोदसागर-मापास त नि का स० विरदसिंहणण, नरेण एका बहादुरपन १६५ लि.का. स. १७ मि० श्रीक्षण के पुत्र हरिचरण दास कवि के भाभपदाठा बीअम्मलीला का वर्णन । ६०(५-६८) Hely के सगमग वर्डमान थे। विनोदीलाल (आय)-राप चिरंजीलाल (3-4) पुना मामR TE५ मयु सं० १६१५ राप मिरा-वीसी-मथुरानाय सुरु कता निकाल सोहमलासपिठाये। संघ १३ विगार रस की कविता ।दे. पतिमोर दे०(ग-1०२) (ज-२५६) निमार मारण-दापनदास कसा मिल का नियंगरी-जाइरस ताकि गोषिपों का Bot०४: दिरापान विधाहकाषन । वियह बम । (-२०८ पफ) (49) विरा-शव-रामधर दास रुप वि० पर मेश्वर की पबना। (ज-२५ पन) पिपल पैरास्य संपादिनी-सतसिंह कस, नि. (ग-३०) का० सं०१८लिक का० स० ११ मि. विकट-मगार-कवान मोकण विरोधपुर गोलामी लसीदास की रामायण के प्रयोया मणा महाराज समयसिंह के गुजरात विजय कार की टीका (म-२री) करने कासवित इतिहास (-१८५) विमल पैराग्य संपादिनी-उंसिा उता नि०, निरुदावली--पनाकर माय, दि० अपपुर- Rate, लि0 का १२ कि. मरेश महाराज जगतसिंह साईप और तुलसीदासीपमायत के भरपय कारकी वीरता का वर्णन । ३० (-२ बरी) सोका 3-रसी) रिमा सरबतसिंहला नि म विवाह रिमन पैराग्य संपादिनी-संवसिंह हत, नि. पर्णन । दे० (48) का- सालिका १११, पिरिखास सरंग-भौगोविर कण, निका० तुमसीह रामायणक सुंदरकांची रीघा २ कि. का. स. TEE वि.कोष द(अ-२८२) शासना(0-100) विमल राम्य संपादिनी-तसिंह कत, निofविकिसन--प्रोकारमा मामयहावा म्पाम का००१ सि का सं० १९२० पि. कापसेर ५० (-२१६)