पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१९३

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[ १६० ] औरंगजेब की फौज के साथ ये ढाके तक गए विवाह प्रकरण दे० (छ-२५० यी) थे, सेवक जाति के ब्राह्मण थे इनके घंशज जमुना प्रताप वैलि दे० (छ-२५० सी) कवि जयलाल कृपागढ में वर्तमान हैं। दे० मापन चोर लहरी दे० (छ-२५० डी) (ग-७३) हरिनाम महिमावली दे० (ज-३३१५) भावप्रकाश पचाथिया दे० (ज-३० ए) दितदग्विश चंद्र जू को सदन नामावली दे० हद सतसई दे० (ज-३३० वी) (ग-६) (ज-३३१ घी) (क-१२१) राधा सुधानिधि को टीका मात्र विज्ञास गार शिक्षा दे० (ग-४२) दे० (ज-३३१ सी) सुंदसतसई-बूंद कवि कृत, नि० का० सं० १७६२; सेवक यानी फल म्नुनि । दे० (ज-३३९डी) लि० का० स० १८७३. वि० नीति के दोहे। लंदावन धामानुगगावली--गो राल कवि कृत दे० (क-२१) (ग-6) (ज-३३० वी ) लि० का० स० १६०० वि० वृंदावन के तीर्थ- वृंदावन -धर्मचद्र के पुत्र; जाति के गोयल गोत्रीय स्थानों तथा मदिरों का वर्णन । दे० (ज-हवी) अग्रवाल वैश्य; काशी निवासी, स० १६५ के | वृंदावन प्रकरण-कालीचरण झन; नि० का० लगभग वर्तमान थे। सं०१६०२,लि०मा० सं० १६०५, वि० भोजपुर जैन छंदावनी दे० (क-११७) के राजकुमार रामेश्वरसिंह जी ब्रजयात्रा का वृंदावन केलि माधुरी--माधुरीदास कृतः नि० घर्णन । दे० (ड-2) का० सं० १६८७, लि. का० सं० १६s, वि० वृंदावन प्रकाशमाला-चद्रलाल कृत; नि० का० कृष्णलीला वर्णन । दे० (ग-९०४ पाँच ) सं०१८२४ वि० श्रृंदावन का वर्णन । दे० (ज-४३ ए) वृंदावन गोपी माहात्म्य-सुंदरि कुँवरि (स्त्री) कृत; नि० का० सं० २१ लि. का द्वंदावन महिमा-चंद्रलान कृन, लि० का० स० १८२३, वि० गोपियों की महिमा का वर्णन । १६४६, वि० वृदावन महिमा, मानोपदेश और दे० (ख-१०३) भंगार वर्णन । दे० (ज-३ डी) वृंदावनचंद शिखनख ध्यान मंजूषा-दामोदर दावन माधुरी-रूप रसिक कृत- वि० वृदावन देव कृत; लि० का० सं०१६२३, वि० कृपण का की महिमा तथा शोभा का वर्णन। दे० (छ-२२२) नख शिख भंगार वर्णन ! दे० (छ-२४ डी) वृंदावन विहार माधुरी-माधुरीदास कृत, नि० वृंदावनदास-हितहरिवंश के अनुयायी; घन्लभ का० सं० १६८७, वि. कृष्ण लीला वर्णन । संप्रदाय के वैष्णव, सं० १८०३ के लगभग दे० (ग-१०४ छ) वर्तमान; वृंदावन निवासी: चाचा वृंदावन वृंदावन सत-ध्रुवदास कृत, नि० का० स० के नाम से प्रसिद्ध थे। १६८६, वि० वृदावन की महिमा का वर्णन । हरिनाम वेग्नि दे० (छ-२५०५) दे० (क-) (ज-७३ सी) (ग-३०२) .