पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/५९

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9 [ २६ ] निवासी, वल्लभ भट्ट के पुत्र, दतिया नरेश के गही पर चोथी पीढ़ी में कवि भगवानदास हुए। श्राश्रित। दे० (क-६६)- रसिक रसास्त दे० (च-५) (छ-१६) कृपाकंद निबंध-घनानंद (श्रानदधन) कृत; वि० कुरुक्षेत्रमाहात्म्य-उमादास कृत, नि० का० स० शृगाररस की कविता । दे० (ब-११) १८६४, वि० कुरुक्षेत्रमाहात्म्य । दे० (ड-६३) कृपानिवास-ये सखी सप्रदाय के वैष्णव थे, कुरुक्षेत्रलीला-चरनदास कृत, वि० राधाकृष्ण इनके गुरु का नाम हनुमानप्रसाद था, अयो. का कुरुक्षेत्र में सम्मिलन । दे० (ज-४५) ध्या के महत, सं० १६०० के पूर्व वर्तमान । कुलपति (मिश्र)-प्रागरा निवासी, परशुराम सम्प्रदाय निर्णय और प्रार्थना मातक दे० (छ- माथुर के पुत्र,सं० १७२७ के लगभग वर्तमान, २७६५) जयपुर नरेश महाराज रामसिंह के आश्रित | अनन्य चिंतामणि दे० (छ-२७६ वी) 12 द्रोणपर्व दे० (क-७२) माधुरीप्रकाश दे० (छ-२७६ सी) रसरहस्य दे० (घ-५१) भावनासत दे० (छ-२७६ डी) पुक्ति तरगिनी दे० (छ-१५ ए) अष्टयाम दे० (छ-२७६ ई) नसशिस दे० (छ-२८५ वी) सीताराम रहस्य दे० (छ-२७६ एफ) सपामसार दे० (ज-१६०) रासपद्धति दे० (ज-१५४ ए) कुशल (मिश्र)-ज्यौघरा (आगरा) निवासी, समयमरध दे० (ज-१५४ यी) सं० १८२६ के लगभग वर्तमान; ज्योधरी के पीतिप्रार्थना दे० (ज-१५४ सी) ठाकुर अनिरुद्धसिंह, दलेलसिंह और दयाराम लगनपचीसी दे० (ज-१५४ डी) के आधित जान पडते हैं। वर्षोत्सव दे० (ज-१५४ ई) गंगानाटक दे० (क-५७) रामरसामृत सिंघु देव (ज--१५४ एफ) कुशलविलास-देवदत्त (उप०देव) कृत, लि० का० कृपाराम-सेधा पथी माई अउने जी के शिष्य । सं०१८४३, वि० नायिकाभेद। दे० (ड-३७) मोहम्मद गज़ाली किताव ऊपर भापा-पारस कुशलसिंह-फफूंद के . राजा, राजा मधुकर भाग दे० ( ग-११) साहि के पुत्र, कवि देवदत्त के श्राश्रयदाता कृपाराम-रामानुज संप्रदाय के साधु, अंत में सं० १६७७ के लगभग वर्तमान। दे० (ड-३७) चित्रकूट में निवास किया और वहीं पुस्तके कुशल सिंह---इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं, निर्माण की, स० १८१५ के लगभग वर्तमान । • कवि शिवनाथ के साथ इन्होंने पुस्तक भागवत भाषा दे० (च-६) निर्माण की। चित्रकूट माहात्म्य दे० (छ-१३) नखशिख दे० (ज-१६१) भागवत दशमस्कध दे० (ज-५५) कूधा जी-रामानुज संप्रदाय के श्नाचार्य इनकी भाष्य प्रकाश दे० (ङ-४६)