पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/६३

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[ ३० ] रामानकृत मजरी दे० (क-५२) सगारथ लीला दे० (च--३७) बोरसिंह देवचरित्र दे० (छ--५५) कैवाट ( सरवरिया)-म० १८५४ के लगभग रन-चावनी दे० (छ-बी) वर्तमान, सरजूपारी ब्रामण। नखशिख दे० (घ-२६) अनतराय माखन की वार्ता दे० (ख-२६) केशवदास-ये राजपुताने के जान पडने है कमास-बच---चंद बरदाई कन, नि० का० सं० इनके विषय में कुछ भी बात नहीं। १२४७ के लगभग. वि० महाराज पृथ्वीराज के अमर बत्तीसी दे० (ग-३४) मत्रो कमास का पृथ्वीराज द्वारा यध, यह ग्रंथ केशव मिश्र-सं० १६६६ के लगभग वर्तमान; बाद पृथ्वीराज रासो का एक खंड है। दे०(छ-१४६षी) शाह जहाँगीर के श्राश्रित । कांक भाषा-मुकुददास कृन, नि० का० स. जहाँगीर चद्रिका दे० (घ-४०) १६७२; लि० का० स० १६००, वि० स्त्री-पुरुष केशवराज-सं० १६४६ के पूर्व और सं० २५६ के के शुभाशुभ लक्षण और औषध । दे० (ज- लगभग वर्तमान थे, ये कुछ समय तक १८३) काश्मीर में रहे थे, कवि नयनसुन के पिता । दूसरी प्रति स० १६७५ की निर्माण की दे० (क-३४) हुई है जिसकी छंद संख्या पहिली से अधिक केशवराय-माधवदास के पुत्र और मुरलीधर के है। दे० (ज-१३ बी) भ्राता; सं० १७५३ के लगभग वर्तमान, प्रोडछा कोकसार-पानंद कवि कृत, लि० का० सं० नरेश महाराज नरसिंह के आश्रित महा १७६१ दूसरी प्रति का लि० का० सं० १८०५; राजा नरसिंह के पिता महाराज छत्रसाल से अन्य नाम कोक-मंजरी; वि० स्त्री-पुरुषों के इन्हें एक ग्राम प्राप्त हुआ था। लक्षणादि और औषध । दे० ( ग-५ ) जैमुनि की कथा दे० (च-१०) (छ-१२६) केशवराय-जन्म का० सं० १७३६, बघेलखंड कोकसार-ताहिर कृत, नि० का० सं० १६७८, निवासी। लि० का० सं० १८११, वि० स्त्री-पुरुषों के शुभा- रसकलित दे० (ज-२४६) शुभ लक्षण तथा प्रासन आदि ।दे० (ज-३१६) केसरीसिंह राठौर आसोप (जोधपुर) के कोविद-इनका पूरा नाम चंद्रमणि मिश्र था, जागीरदार चारण कवि सागरदान के आश्रय- सं० १७७७ के लगभग वर्तमान, ओड़छा-नरेश दाता । दे० (ख-१) - महाराज उदोतसिंह और महाराज पृथ्वी-1 केसरीसिंह-जाति के गौह क्षत्री, मणि-मंडन सिंह के आश्रित। मिश्र के श्राश्रयदाता थे । दे० (छ-२४१) राममूरन दे० (छ–६२५) केसरीसिंह-उप० नंद, इनके विषय में कुछ भी भाषा हितोपदेश दे०(छ-६२ वी) शात नहीं। कोशल-पथ--रुद्र प्रतापसिंह कृत; नि० का०