पंडित श्रीधर पाठक इस समय हिंदी भाषा के एक अच्छे कवि हैं। आप प्रजभापा और खड़ी बोली दोनों में एक समान कविता रचते हैं। परंतु खड़ो बोलो में आपकी कविता आदर्श रूप होती है। आप उसके पक्के समर्थक और सरल सरस-प्रसाद गुण-विशिष्ट स्वभाव सुंदर उक्ति के प्रदर्शक हैं । निदान इस विषय में आप अद्वितीय है। इन्होंने स्कूल में पढ़ते समय सब से पहिले अपनो जन्मभूमि ऑधरी ग्राम की प्रशंसा में एक कविता रची थी परंतु वह प्रका- शित नहीं की गई वरन् रचना के पश्चात् शीघ्र ही नष्ट कर दी गई। उसके बाद जब जो मौज में आया लिखा। आपको स्फुट कवि- ताओं का संग्रह "मनो विनोद” नाम से पुस्तकाकार दो भागों में प्रकाशित हो गया है पौर हिंदी के सब सहृदय-प्रेमियों को बड़े मेम और आदर की वस्तु है। कारण यह कि पाठक जी के पद्य मात्र में एक ऐसी स्थायी मनोहरता है कि बार बार पढ़ कर भी फिर पढ़ने को जो करता है । गोल्ड स्मिथ के तीन ग्रंथों का पद्या- नुवाद आपने “एकांतवासी योगी" "ऊजड़ ग्राम" पर "धांत- पथिक" नाम से प्रकाशित किया है। इन तीनों ग्रंथों का बड़ा प्रचार और सम्मान है। इसमें से धातपथिक खड़ी बोली में मंगरेजी-पद्य को एक पंक्ति का हिंदी की एक पंक्ति में अनुवाद है । आप प्राकृतिक दृश्यों का अच्छा चित्र खींचते हैं। प्रयाग में आपने “पद्म फुटीर" नामक एक रमणीक निवास. स्थान निर्मित कराया है और उसमें प्रत्र रहते हैं।
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