पृष्ठ:हिंदी निबंधमाला भाग 1.djvu/८०

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रहा था, तब ग्वालियर के निकट प्रांतरी की घाटी में इन्होंने उससे रण रोपा और अपने हाथ से अकबर के एकमात्र प्यारे मंत्री का सिर काट सलीम के पास प्रयाग भेज दिया और इस प्रकार अकबर को युद्ध के लिये उत्तेजित किया। परंतु अकबर इतने पर भी इनके सम्मुख रण रोपने का साहस न कर सका; रो रोकर अबुल फज्ल के शोक में अपना जीवन घटाता रहा और अंत में अपने बुढ़ापे के दो वर्षों को काट मर गया। ओड़छे का राज्य तथा बुंदेलकुल के भाग्य का भानु इस समय पूर्ण उन्नति पर था। भारतवर्ष में उसकी प्रख्याति हो रही थी। राजसभा सींगपूर्ण थी। महाराज वीरसिंहदेव को महाराज इंद्रजीत से सहोदर मिले थे, जिनका चातुर्य संसार भर में प्रगट था। महाराज को सावंत विक्रमसिंह, अर्जुनसिंह ऐसे स्वामिभक्त कर्मचारी और रामचंद्रिका, कवि- प्रिया, रसिकप्रिया, विज्ञानगीता ऐसे पंथों के रचयिता कवींद्र केशवदास से कवि और प्रवीणराय, सत्यराय, रंगराय सदृश काव्यकलासंपन्न, गान तथा वाद्य-विद्यापारंगत गायिकाएँ मिली थों। प्रोड़छाधीश की जय देश-देशांतर में बोली जाती थी।

ऐसी उन्नति के दिनों में, पाठक महानुभाव, हम आपको एक बार उस टापू पर, जो तुंगारण्य से आगे हम आपको वेत्रवती की दो धाराओं के बीच में दिखा चुके हैं, फिर ले जाना चाहते हैं। यह टापू रघुनाथजी के मंदिर के द्वार के सामने ठीक सीध में पड़ता है। चतुर्भुजजी के मंदिर के सभामंडप