पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२२२

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.. काल वीरगाथा काल २१६ पश्चिमीय भागं-जहाँ कन्नौज, दिल्ली, अजमेर तथा अन्हलवाड़ा आदि के बड़े बड़े राज्य प्रतिष्ठित थे-चल और वैभव का केंद्र था और इन्हीं स्थानों पर मुसलमानी अाक्रमणों का बवंडर श्राकर उन्हें नष्ट भ्रष्ट करता रहा। इस अवस्था में उस समय की यदि बची बचाई सामग्री कहीं से प्राप्त हो सकती है, तो वह राजपूताने में ही हो सकती है, जहाँ उस समय के राज्यों के स्थान पर उनके भग्नावशेष रूप में नए राज्य इस समय तक प्रतिष्ठित है। पर वहाँ के नृपतियों की इस ओर रुचि ही नहीं है; अतएव यहाँ के राज्यों में जो कुछ साहित्यिक सामग्री पची बचाई पड़ी हुई है, उसके प्राप्त करने का कोई उपाय नहीं है। संभावना यह है कि काल को गति से यह सामग्री भी नष्ट हो जाय। यदि राज- पूताने में प्राचीन हिंदी पुस्तकों की खोज का काम व्यवस्थित रूप से किया जाय, तो संभव है कि बहुत कुछ उपयोगी सामग्री प्राप्त हो जाय। यह भी संभव है कि हिंदी साहित्य के उस युग में देश की राजनीतिक तथा सामाजिक परिस्थिति के कारण न तो किसी कला की हो विशेष उन्नति हुई हो और न अनेक साहित्यिक ग्रंथों का ही निर्माण हुश्रा हो । तत्कालीन मूर्ति निर्माणकला तथा वास्तुकला के जो अवशेष इस समय मिलते हैं, एक तो उनको संख्या अधिक नहीं है और दूसरे उममें विदे- शीय भावों तथा श्रादर्शी की ही झलक अधिक दिखाई पड़ती है। शुद्ध भारतीय श्रादशों का आधार लेकर किसी महत्त्वपूर्ण भूति श्रथवा मंदिर का निर्माण संभवतः हुना ही नहीं। जब अन्य कलाओं की ऐसी अवस्था थी, तब यह श्राशा नहीं की जा सकती कि उस काल में साहित्यकला की सर्वतोमुखी उन्नति हुई होगी अथवा अनेक उत्कृष्ट ग्रंथों का निर्माण हुया होगा। यह युग घोर राजनीतिक हलचल तथा अशांति का था। भारत के सिंध श्रादि पश्चिमीय प्रदेशों पर अरबों के आक्रमण तो बहुत पहले से प्रारंभ हो चुके थे और एक विस्तृत भूभाग पर राजनीतिक स्थिति " उनका आधिपत्य भी बहुत कुछ स्थायी रीति से प्रतिष्ठित हो चुका था, परंतु पीछे समस्त उत्तरापथ विदेशियों से पदा- फ्रांत होने लगा और मुसलमानों की विजयवैजयंती लाहोर, देहली, मुलतान तथा अजमेर श्रादि में भी फहराने लगी। महमूद गजनवी के श्राक्रमणों का यही युग था और शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी ने भी इसी काल में भारत-विजय के लिये प्रयत्न किए थे। पहले तो इस देश पर विदेशियों के श्राक्रमण, स्थायी अधिकार प्राप्त करके शासन करने के उद्देश से नहीं, केवल यहाँ की अतुल संपत्ति लूट ले जाने की इच्छा से,