पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२७

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२६ हिंदी भाषा करोड़ लाख १६-केंद्रवी पहाडी १७--पश्चिमी पहाड़ी ०-१७ .. इस प्रकार १७ भाषाओं के ६ धर्म और ३ उपशाखाएँ मानी जा सकती हैं, पर कुछ लोगों को यह अंतरंग और बहिरंग का भेद ठीक नहीं प्रतीत होता। डा० सुनीतिकुमार चैटर्जी ने लिखा है कि सुदूर पश्चिम और पूर्व की भाषाएँ एक साथ नहीं रखी जा सकतीं। उन्होंने इसके लिये अच्छे प्रमाण भी दिए हैं और भापाओं का वर्गीकरण नीचे लिखे ढंग से किया है। (क ) उदीच्य (उत्तरी ) वर्ग १-सिंधी २-लहँदा ३--पंजावी (ख) प्रतीव्य (पश्चिमी) वर्ग ४--गुजराती ५-राजस्थानी (ग) मध्यदेशीय (विचला) वर्ग ६--पश्चिमी हिंदी (घ)माच्य (पूर्वी) वर्ग ७--पूर्वी हिंदी ८-विहारी E-उड़िया १०--पॅगला ११-श्रासामी . (ड) दाक्षिणात्य (दक्षिणी ) धर्ग १२-मराठी सूचना-पहाड़ी चोलियों को डा० चैटर्जी ने भी राजस्थानी का रूपांतर माना है पर उनको निश्चित रूप से किसी भी वर्ग में रस सफना सहज नहीं है। उनका एक अलग वर्ग मानना ही ठीक हो सकता है। . १६२१ को मनुष्य गणना में केंद्रवती पहाड़ी के बोलनेवाले हिंदी- भाषियो में गिन लिए गए है अतः फेरल ३८५३ मनुष्य इसको बोलनेवाले माने जाते हैं अपांत् लाख में उनकी गणना नहीं हो सकती।