पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२८८

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प्रेममार्गी भकि शाखा . २८७ . ध्यान दिया गया था। साथ ही हमको यह भी देखना होगा कि उन कथाओं के बीच बीच में दी हुई वस्तुवर्णना कैसी है और प्रसंगानुकूल . भावों का व्यंजन कैसा है। वस्तुवर्णन की दो मुख्य वस्तुवर्णन और शैलियाँ हो सकती हैं। एक में तो कवि अत्यंत भावव्यंजन साधारण रूप से वस्तु का उल्लेख कर देता है और आगे अपनी कथा कह चलता है, दूसरी में वह सूक्ष्मता से वस्तुओं का चित्रण करता है और उनका एक चित्र साखड़ा कर देता है । पहली शैली में घटनाओं को प्रधानता दी जाती है और वस्तुओं का वर्णन गौण स्थान' पाता है, दूसरी में वस्तुवर्णन अपना अलग अस्तित्व रखता और स्वतंत्र रीति से काव्यत्व का अधिकारी होता है। दोनों ही अपना अपना महत्त्व रखती हैं। पहली में कवि वस्तुवर्णन की ओर अधिक ध्यान न देकर घटनाओं को अधिक मर्मस्पर्शी बनाता है और पाठक भी अधिक तन्म- यता से कथा सुनता है, दूसरी में कवि का काव्यचमत्कार अधिक परि. लक्षित होता है और पाठक का ध्यान वर्णित वस्तुएँ भी उतना ही खींचती है जितना वर्णित घटनाएँ। प्रबंधकाव्यों में कुछ महान् घट- नाओं का होना आवश्यक होता है, अतः उन्हें यथासंभव मर्मस्पर्शी बनाकर पाठकों का ध्यान उन्हीं की ओर खींचना जिन कवियों को अभीष्ट होता है, वे अपनी सारी शक्ति उसी ओर लगाते हैं, और कथा- प्रसंग में श्राई हुई प्रत्येक वस्तु का स्वरूप प्रत्यक्ष करने की उतनी अभि- लापा नहीं रखते। साथ ही जिन कवियों को पद पद पर सरलता और काव्यत्व लाने का ध्यान रहता है, वे बड़ी ही सूक्ष्म दृष्टि से सृष्टि की सभी वस्तुओं का निरीक्षण करते और अपने ग्रंथों में उनका संश्लिष्ट चित्रण करते हैं। अवश्य ही ऐसा करने से उनके ग्रंथ रमणीय हो जाते है; पर प्रबंधकाव्य के अनुकूल जीवन की गंभीर समस्याओं से पाठकों का ध्यान पॅटकर वर्णित वस्तुओं की ओर चला जाता है, जो अनेक कवियों को अभीष्ट नहीं होता। प्रेममार्गी कवियों का वस्तुवर्णन विशेष श्राकर्पक नहीं बन सका। उन्हें तो कथा के भीतर से किसी अन्य ही सत्य की व्यंजना करनी थी; अतः वस्तुएँ ही नहीं, सारा कथानक ही उनके लिये उसी सीमा तक महत्त्व रखता था जहाँ तक उनके उस सत्य के अभिव्यंजन में वह सहायक या उपयोगी होता। ऐसी अवस्था में उनसे रमणीय वस्तुवर्णन की आशा भी नहीं रखी जा सकती। हाँ, जहाँ कथा-प्रसंग के योच में प्रेम के त्याग, कष्ट अथवा ईश्वरीय विरह-मिलन श्रादि के संकेत है, वहाँ वस्तुओं का वर्णन भी विशेष रोचक कर दिया गया है।