पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/२९७

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आठवाँ अध्याय रामभक्ति शाखा विजयी मुसलिम शक्ति अदम्य उत्साह के साथ इस देश पर अपनी संस्कृति और सभ्यता की छाप डाल चुकी थी। उसका प्रथम वेग रामभक्ति की उत्पत्ति घड़ा ही प्रवल था। सामाजिक और धार्मिक " क्षेत्रों में ही नहीं, साहित्यिक क्षेत्र में भी उस प्रबल कार वेग का साक्षात्कार किया जा सकता है। कबीर और जायसी आदि जिन कवि-संप्रदायों के प्रतिनिधि है, उनका विवरण हम पहले दे चुके हैं। उनमें मुसलिम विचारों और काव्य-शैलियों का प्रभाव प्रत्यक्ष है। (जायसी तो मुसलिम सूफी संप्रदाय के ही कवि हैं, यद्यपि उन्होंने हिंदुओं के घर की कहानी कही और भारतीय दृश्यों का समावेश किया। यदि उनके मुख्य मुख्य सिद्धांतों की दृष्टि से देखें तो कह सकते हैं कि ये फारस के ही अधिक उपयुक्त है, इस देश के लिये उतने उपयुक्त नहीं। फवीर यद्यपि जन्म से हिंदू थे, और हिंदू पंडितों के मध्य में ही पले थे पर फिर भी उन पर मुसलिम प्रभाव कम नहीं था। यह काल मुसलिम सभ्यता के प्रथम विकास का था। जिस प्रकार वर्षा की पहाड़ी नदी पानी के पहले झोंके में तीव्र गति से तटों को तोड़ती और उमड़ती हुई चलती है, पर शीघ्र ही अपनी सीमा में याकर प्रशमित हो जाती है, उसी प्रकार मुसलमानों का प्रथम उल्लास भी बड़ा ही उद्वेगपूर्ण था पर पीछे जव इस देश की जल-वायु, श्राचार- विचार और सभ्यता आदि का उन पर प्रभाव पड़ा तब उनमें विचार- शीलता और गंभीरता आई। इसी समय इस देश में भी प्राचीन भक्ति का श्राधार लेकर नवीन विकास हो रहा था और इस नवीन विकास में तत्कालीन स्थिति ने बड़ी सहायता पहुँचाई। भक्ति के नवीन विकास के संबंध में हम पहले कह चुके हैं कि यह प्राचीन शास्त्रीय धर्मशैली की सहायता से उत्पन्न हुअा था और इसके समर्थन में हिंदू धर्म के सहस्रों प्राचीन ग्रंथ बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित थे। साथ ही हम यह भी कह चुके हैं कि इस नवीन उत्थान में यद्यपि अनेक प्रवर्तकों का हाथ होने से अनेक मत चल पड़े थे, पर .. विष्णु या नारायण की भक्ति ही अनेक रूपों में प्रचलित थी। अतः उक्त