पृष्ठ:हिंदी भाषा.djvu/३५५

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३५५ रीति काल उपमानों की योजना से काव्य का ढांचा खड़ा करना कवि-कर्म को विशेष ऊँचे नहीं पहुँचाता। प्रकृति के रम्य रूपों को सूक्ष्म दृष्टि से देखकर उन पर मुग्ध होना एक बात है और नायक-नायिका की विहार- स्थली को उद्दीपन के रूप में दिखाना दूसरी बात। एक में निसर्ग- सिद्ध काव्यत्व है, दूसरे में काव्याभास मान । उसी भांति अनेक नायक-नायिकाओं के विभेद दिखाते हुए, हावों श्रादि को जोड़-जाड़कर खड़ा कर देने में कवि की सहृदयता का पैसा पता नहीं लग सकता जैसा तल्लीनता की अवस्था में प्रेम के मार्मिक उद्गारों और स्त्री-पुरुष के मधुर संबंध के रमणीय प्रसंगों का स्वाभाविक चित्रण करने में । घनानंद, बोधा और ठाकुर (बुंदेलखंडी) तीनों ही प्रेम की उमंग में मस्त सच्चे कवि हुए। यह ठीक है कि प्रेम का लौकिक पक्ष न ग्रहण करने के कारण उनकी कविता ऐकांतिक प्रेमसंबंधिनी श्रतः अलोको- पयोगी हो गई है। परंतु उस काल की बँधी परिपाटी से स्वतंत्र होकर मनोहर रचना करने के कारण ये तीनों ही कवि हिंदी में श्रादर की दृष्टि से देखे जायँगे। घनानंद की भापा भी ब्रज की टकसाली भाषा थी। उनकी जैसी भाषा रीति काल के कम कवियों ने व्यवहृत की है। इस काल के अंतिम समय में यशवंतयशोचंद्रिका और यशवंत- चंद्रिका नाम के दो प्रसिद्ध ग्रंथ राजपुताने से प्रकाशित हुए और उनका बहुत कुछ श्रादर हुआ। रीति काल में कवियों की ऐसी बाढ़ आई थी कि ऊपर के पृष्ठों में केवल प्रधान प्रधान धारावाही कवियों का उल्लेख ही हो सका है। कर जिस देश में, जिस काल में कविकर्म शृंखलित, नियमित और रीतिवद्ध हो जाता है वहाँ उस काल में मध्यम श्रेणी के अलंकारप्रिय कवियों की स्वभावतः अधिक संख्या हुआ करती है। कविता जय प्रतिभा-सापेक्ष न रहकर वहुत कुछ अध्ययन-सापेक्ष हो जाती और बुद्धिवाद की ओर झुकती है तय कविगण पांडित्य प्रदर्शन को काव्य का मुख्य उद्देश समझने लगते हैं। कविता अपना वास्तविक सौंदर्य खो देती और कृत्रिम बन जाती है। अँगरेजी साहित्य के इतिहास में पोप और ड्राइडेन की कविता बहुत कुछ ऐसी ही है। हिंदी में श्रीपति, कुलपति, सुखदेव मिश्र और महाराज जस- पंतसिंह कवि नहीं कहे जा सकते, अलंकार-ग्रंथ-निर्माता ही कहे जायेंगे। साहित्यिक विश्लेपण के अनुसार इन्हें साहित्य समालोचकों की श्रेणी में स्थान मिलना चाहिए, कवियों की श्रेणी में नहीं। कविताकारों में उपर्युक्त नामों के अतिरिक्त वेणीप्रवीण, द्विजदेव आदि के नाम भी किसी