पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/४४२

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विविध भांति के जब दुख सुख
जहँ नहीं भक्ति लवलेस ।
एक जो तन सतसंग रंग रंगि
रहतो अति सुखपूर ।
जनम सफल करि लेतो ब्रज
बसि जहँ ब्रज जीवन मूर ।
दै तन बिन दै काज न है हैं
आयु तौ छिन छिन छीजै ।
नागरिदास एक तन ते अब
कहौ काह करि लीजै ।

आप को फ़ारसो मापा का अच्छा ज्ञान था । इसलिये कुछ कवितायें ऐसी भी हैं जिनमें फ़ारसी बह्रों का प्रयोग अधिकता से है। इन्होंने 'इश्क चमन' नाम का एक ग्रंथ भी लिखा था। कुछ उसके पदा भी देखिये.-

१-इश्क चमन महबूब का वहां न जावै कोय ।
जावै सो जीये नहीं जियै सो बौरा होय ।

२-ऐतबीब उठि जाहु घर अबस छुवै का हाथ ।
चढ़ी इश्क की कैफ़ यह उतर सिर के साथ ।

३-सब मज़हब सब इल्म अरु सबै ऐश के स्वाद ।
अरे इश्क के असर बिन ये सब ही बरबाद ।

४-आया इश्क लपेट में लागी चश्म चपेट ।
सोई आया खलक में और भरैं सब पेट ।

नागरोदास को सहचरी 'बनी ठनी' नाम की एक स्त्री थी। उनके सतसंग से वह भी युगल मूर्ति के प्रेम की प्रेमिका थी और उन्हीं के