पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/७१८

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षत् नामक एक सँस्था है। उसके उद्योग से भी विज्ञान के कुछ ग्रन्थ निकले हैं। उस संस्था से 'विज्ञान' नामक एक मासिक पत्र भी निकलता है। पहले इसका सम्पादन प्रसिद्ध विद्वान् बाबू रामदास गौड़ एम० ए० करते थे अब प्रोफेसर ब्रजराज एम० ए०, बाबू सत्यप्रकाश एम० एस० सी के सहयोग से कर रहे हैं। पत्र का सम्पादन पहिले ही से अच्छा होता आया है, यहो एक ऐसा पत्र है, जिसके आधार से हिन्दी-संसार में विज्ञान की चर्चा कुछ हो रही है। डाकर मंगल देव शास्त्री एम० ए० और नलिनी मोहन सान्याल एम० ए० ने भाषा विज्ञान पर जो ग्रंथ लिखे हैं वे बड़े सुन्दर हैं और ज्ञातव्य विषयों से पूर्ण हैं। उनके द्वारा हिन्दी भाण्डार गौरवित हुआ है। हाल में एक ग्रंथ बाबू गोरख प्रसाद एम० ए० ने सौर परिवार नामक लिखा है, यह ग्रंथ बड़ा हो उत्तम और उपयोगी है, उसको लिख कर ग्रंथ- कार ने एक बड़ो न्यूनता की पूर्ति की है ।।

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दर्शन

भारत का दर्शन शास्त्र प्रसिद्ध है। वैदिक धर्म के पड़, दर्शन को कौन नहीं जानता ? उसकी महत्ता विश्व-विदित है। वौद्ध दर्शन भी प्रशं- सनीय है। स्वामी शंकगचाय के दार्शनिक ग्रंथ इतने अपूर्व हैं, कि उन्हें विश्वविभूति कह सकते हैं. संसार में अब तक इतना बड़ा दार्शनिक उत्पन्न नहीं हुआ। श्री हर्ष का 'खण्डन खण्ड खाद्य' भी संस्कृत भाषा का अलौकिक रत्न है। परन्तु हिन्दी भाषा में अब तक कोई ऐसा उत्तम दर्शन ग्रंथ नहीं लिखा गया था जो विशेष प्रशंसा प्राप्त हो। केवल एक ग्रंथ साहित्यचार्य पंडित रामावतार शर्मा ने दर्शन का लिखा है, जिसे नागरी प्रचारिणी सभा, बनारस ने छापा है। इस ग्रंथ का नाम योरो- पीय दर्शन' है। पंडित जी बड़े प्रसिद्ध विद्वान् थे। उन्हों ने संस्कृत में भी कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे हैं, परमार्थ दर्शन आदि जैसे वे संस्कृत के उनट विद्वान थे वैसा ही उनका अंगरेजी का ज्ञान भी बड़ा विस्तृत था । वे एम० ए० थे, किन्तु उनकी योग्यता उससे कहीं अधिक थी। इस लिये