पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/७३१

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अपने इस महत्व का ध्यान है, और इसलिये यह अपने कर्तव्य-पालन में आज भी पूर्णरूप से दत्त-चित्त है। चौथा बम्बई का श्री बेंकटेश्वर प्रेस है। बहुत दूरवर्ती होने पर भी इस प्रेसने भी हिन्दी भाषा को बहुत बड़ी सेवा की है। धर्म-सम्बन्धी हिन्दी ग्रन्थों के प्रकाशन में इसने जो अनुराग दिखलाया वह अत्यन्त प्रशंसनीय है। विद्यावारिधि पं० ज्वालाप्रसाद और उनके लघुभ्राता पं० वलदेवप्रसाद मिश्र के समस्त बहुमूल्य ग्रन्थों के प्रकाशन का श्रेय इसी को प्राप्त है । इन विद्वानों के अतिरिक्त हिन्दी भाषा के और संस्कृत के अनेक विद्वानों के बहुत से गूथों का प्रकाशन, इसने किया है. और आज भी इस कार्य में पूर्ववत् दत्तचित्त है । इसके ग्रन्थों का आदर बम्बई प्रान्त में तो हुआ हो, और प्रान्तों में भी अधिकता से हुआ, जिससे हिन्दी भाषा के विस्तार, प्रचार, उन्नति में बहुत बड़ी सहायता प्राप्त हुई है, इस प्रेससे वेंकटेश्वर समाचार' नामकचिरकालसे एक हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र निकलता है, जिसको धर्म-क्षेत्र में आज भी बहुत गौरव प्राप्त है । इन प्रेसों के अतिरिक्त बंगबासो प्रेस, स्वर्गीय पं० रामजो लाल शर्मा द्वारा स्थापित हिन्दी प्रेस, महार्षि-कल्प पं० मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित अभ्युदय प्रेस, कानपुर का प्रताप प्रेम, लखनऊ का गंगा फ़ाइन आर्ट प्रेस, वणिक प्रेस, वर्म्मन प्रेस. गोता प्रेस और काशी का ज्ञानमण्डल आदि प्रेस भी उल्लेखनीय हैं, जिनसे आज भी हिन्दी भाषा की बहुत कुछ सेवा हो रही है ॥

३-पत्र और पत्रिकायें

किसी भाषा की उन्नति के लिये पत्र--पत्रिकायें अधिकतर उपयोगी हैं। आज कल हिन्दी - संसार में जितनी पत्र-पत्रिकाएं विभिन्न प्रांतों से निकल रही हैं वे ही इस बात के प्रमाण हैं कि हिन्दी भाषा इस समय कितनी समुन्नत, वहुव्याप्त और वृद्धि प्राप्त है। आज कल हिन्दी भाषा में सातदैनिक पत्र निकल रही हैं,इनमें से तीन कलकत्ते से, दो युक्त प्रान्त से, एक पंजाब से और एक मध्य प्रदेश से निकलता है। कलकत्ते के पत्रों में भारतमित्र' सबसे पुराना दैनिक है । इसका सम्पादन योग्य हाथों