पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/८५

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पूर्वीयहिन्दीक्षेत्र, विहार और उत्तर में हिमालय की तराइयों में बसे । मध्यदेश के अन्तरंग आर्यों की भाषा का वर्त्तमान प्रतिनिधि पश्चिमी हिन्दी है। अन्यप्रचलित आर्यभाषायें. 'वहिरंग' आर्यभाषा से विकसित हुई है"?

यहां यह प्रश्न हो सकता है कि जब पंजाब, गुजरात और राजपुताना वहिरंग आर्यों का ही निवास स्थान था. तो वहा की भाषायें अन्तरंग कैसे हो गई ? सिंध, महाराष्ट्र और बिहार के समान वहिरंग क्यों नहीं हुई? इसका उत्तर यह दिया जाता है कि प्रचारकों और विजेताओं द्वारा मध्यदेश की शौरसेनी भापाका बहुत बड़ा प्रभाव बाद को पंजाब, गुजरात और राजस्थान पर पड़ा, इसलिये इन स्थानों की भाषायें काल पाकर अन्तरंग बनगई। इसी प्रकार राजस्थान और गुजरात के कुछ विजयी आगन्तुकों के प्रभाव से हिमालय की तराइयों की भाषा भी अन्तरंग हो गई। डाः जी० ए० ग्रियर्सन लिखते हैं

'मध्यदेशनिवासी आर्यों के वहां से राजपुताना और गुजरात में आ बसने के विषय में बहुत सी प्रचलित कथायें हैं। पहली यह है कि महाभारत के युद्ध काल में द्वारिका की नींव गुजगत में पड़ी। जैनों के प्राचीन कथानकों के अनुसार गुजरात का सब से पहला चालुक्य गजा कन्नौज से आया। कहा जाता है नवों ईस्वी शताब्दी के प्रारम्भ काल में पश्चिमीय राजपुताने के भीलमाल अथवा भीनमाल नामक स्थान के एक गुर्जर राजपूत ने भी गुजरात को जीता। मारवाड़ के राठौर कहते हैं कि वे वहां पर बारहवों ईस्वी शताब्दी में कन्नौज से आये । जयपुर के कछवाहे अयोध्या से आने का दावा करते हैं। गुजरात और राजपुतानेका घनिष्ट राजनैतिक सम्बन्ध इस ऐतिहासिक घटना से भी प्रकट होता है कि मेवाड़ के गहलौत वहां पर सौराष्ट्र से आये"

."गुर्जरों ने हूण तथा अन्य आक्रमण कारियों के साथ ईस्वी छठवींशताब्दी में भारत में प्रवेश किया, और वे शीघ्र ही बड़े शक्ति शाली

| The origin and development of the Bengali Language ($ 29)p.30