पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१३२

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ईसाई १३१ “पुण्य स्थान और भक्तिके पात्र बने। उसी समय पश्चिममें । प्रभृति महाजन, (जो पोपके निर्वाचनमें अधिकारी रोमनगर और पूर्व में अन्तियोक ईसाई समाजका होते हैं ) उसके पर पेटिया ( Patriarch ) अर्थात् प्रधानस्थान माना गया। प्रधान धर्मगुरु, उनके अधीन आर्क बिशप ( Arch- ईसा मसीहका धर्ममत एक ही है। किन्तु उत्तर bishop) अर्थात् धर्माचार्य, उनके नोचे विशय काल नाना जातिके नाना मत और विश्वास मिल | (Bishop ) अर्थात् महापुरोहित, तत्पर पुरोहित जानेसे अकेले ईसाई धर्मने नाना आकार बना लिये। | (Priest) और सामान्य याजक ( Deacon)। अब उसके कई समाज हो गये हैं, जैसे-रोमन रोमन काथोलिक साकार उपासक हैं। ईश्वर, काथोलिक, सिरीयक, याक बी, नेष्टोरी, अर्मनी, ग्रीक, ईसा और दिव्यात्मा ( Holy Ghost ) उनके उपास्य प्रोटेष्टाण्ट, जेसुट इत्यादि। . देव हैं। सिवा इसके वे मूसा प्रभृति सिद्धपुरुषों को रोमक-समाज। भी विशेष भक्ति और पूजा करते हैं। विपक्षवादियोंके अत्याचारसे आदि ईसाइयोंने ई. द्वादशसे चतुर्दश शताब्द मध्य रोमाधिपति .."काथोलिक" अर्थात् सार्वजनिक वा साधारण मताव- | पोपके प्रबल प्रतापसे समस्त युरोपमें कोथोलिक धर्म लम्बीके नामसे अपना परिचय दिया था। उसी फैला था। उक्त महादेशमें प्रवल पराक्रान्त राजाधि- समयसे यह नाम पड़ा। अब काथोलिक कहनेसे राजसे कुटीरवासी दीन दरिद्र पर्यन्त सकल ही पोपके रोमनकाथोलिक (Roman Catholic) नामक ईसाई पदावनत हुए। पोप अथवा तनियुक्त धर्माधिकारियों के समाज समझा जाता है । काथोलिक रोमराज्यके अधि विना अादेश कोई धर्मकर्म कर न सकता था। उस पति पोपको उसे यावतीय ईसाइयोंका धर्मपिता मान समय अनेकोंने समझा-पोप हो सम्भवतः देवता और अतिशय भक्तिश्रद्धा करते हैं। उनके कथनानुसार ईखरका अंश हैं ! उनके भयसे कोई एक बात भी मुंह मानव मेषपाल थे। पोछे एकताका बन्धन टूटा; खोलकर कह न सकता था। उस समय पोपने ईसाई इसीसे ईसा मसीहने अपने प्रधान शिष्य सेण्टपीटरको धर्मासन पर बैठ जा अत्याचार किया, उसे सुननसे किसे मेषपाल रूपसे नियुक्त किया। रोम नगरमें सेण्टपोटर हृत्कम्प नहीं हुआ ! जो ईसाई पोपका नियम लांधता, रहते थे। वहां ठहरकर उन्होंने साम्य और मुक्तिमागे वह यथाकाल उनके उपचार प्रदानसे विमुख जाता लोगोंको देखाया। ईसाका आदेश था-सेण्ट अथवा जो घुणाचरसे भी किसी विधर्मीका संसर्ग पोटरके पीछे उनका उत्तराधिकारी भी 'मेषपालक' करलेता किंवा जो विधर्मों पोपका पादेश न मानता, होगा। रोमके पोप सेण्टपोटरके स्थलाभिषिक्त और उसका निस्तार हो न होता था। इसी प्रकार सैकड़ों उत्तराधिकारी हैं। सुतरां जिस समय जो पोप होंगे, | व्यक्तियों ने अकालमें कालका आतिथ्य स्वीकार किया उस समय वही 'मेषपालक' रहेंगे। और हजारों लोगों ने कारायन्त्रणांका दुःख अपने रोमन काथोलिकोंको धर्मरक्षार्थ सात शपथ मानना अपर लिया। आबालवृद्धवनिता हजारों व्यक्तियों ने पडते हैं,-ईसाईधर्मकी दीक्षा, धर्मसम्बन्धीय उपा असीम मनोकष्ट पाया था। युरोपमें ऐसा कोई सनादिका क्रियाकलाप, क्रूशारोपके पूर्वरात्र ईसाका प्रदेश नहीं, जो पोपके उस दारुण दण्डविधि सशिष्य भोजपर्व, निग्रहस्वीकार (Penance),मृत्य काल- ( Inquisition )से अव्याहति पाता। सर्व जीवों पर में तेलका प्रवलेपन (Extreme unction),धर्माधिकार प्रेम रखना जिस धर्मका मूलमन्त्र है, उसी धर्मके . • (Orders) और पाणिग्रहण । सर्वमय कर्ताका ऐसा कार्य। ईसाई इतिहासपर इस समाजके धर्माधिकारमें अनेक पद पड़ते हैं, विषम कलङ्क लगाता है। प्रथम पोप (Pope) अर्थात् सकलके धर्मपिता, तत्पर | काथोलिकसे जेसुट (Jesuit) सम्प्रदायका जन्म कार्डिनाल (Cardinal) अर्थात् ईसाई समाजके राजा हुआ है। जेसुट शब्दसे ईशाके समाजका अर्थ निकलता