पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१३९

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ईसाई - एक दूसरा प्रवाद है-'ई के वें शताब्दमें टोमस-। लिपि निकली है। साधारणका विश्वास है-इसी काना नामक एक अमनी बणिक् मलबार उपकूलपर पर्वतके पास सेण्ट टोमस मारे गये थे। किन्तु उक्त बाणिज्य करने पाये थे। उन्होंने दो सुन्दर केरल खुदी पहलवो लिपि द्वारा अनायास ही मालूम पड़ता रमणोसे विवाह किया। देशी राजगणसे सद्भाव रहा। है-पारस्थवासी मनिके शिष्य सेण्ट टोमसने हो उन्हो ने देखा-पूर्व मलबार उपकूलपर जो ईसाई - कारविकास नामक एक साधारण मनुष्य थे। जब उनका वयस थे, वे हिन्दुओं के अत्याचारसे एककाल ही विलुप्त हो सात वत्सर हुथा, तब वाबिलनको किसो विधवा रमणीने उन्हें मोल ले गये है। अति अल्प संख्यक देशीय ईसाई वनमें पर्वत- अपने घर रखा। विधवा मरने पर क्रोतदास वारविकास उसको सम्पत्तिके पर गुप्त जीवन बिताते हैं। उनके मनमें ईसाई धर्म उत्तराधिकारी बने । अतुल ऐश्वर्य पाकर उन्होंने अपना पहला नाम चलानको आयो। देशीय राजगणसे उन्हो ने अनुमति बदला और नये मनि नामसे परिचय दिया। फिर वे पारस्व-राज्यमें ले ली-ईसाई स्व-ख धर्मको प्रथासे जो कार्य पाकर रहने लगे। अपनी प्रतिपालिकाकै साहाय्यसे मनिको विशेष शिक्षा करेंगे, उसमें देशी लोग कोई वाधा डाल न सकेंगे। मिली थी। पारस्यमें रह मनिने इब्रोल ( New Testament) और .. राजगणको अनुमतिपर उन्होंने वन पर्व तसे ईसाइयों- पपरापर ईसाई धर्मक ग्रन्यों को पढ़ा, तथा ईसाई धर्मके संमिश्रणसे पारसोक एवं बौद्ध धर्मका कितना हो मलामत जुटा एक अभिनव ईसाई समादाय को फिर ला मलबार में बैठा दिया। टोमस स्वयं स्थापन करनेका उद्योग लगाया। यह उद्देश्य साधन करने के लिये उनके प्रधान धर्माचार्य बने थे। उसी समयसे यहांके उन्होंने अपने को ईसाका प्रेरित शिष्य वा दूत (Apostle ) यसाया था । ईसाई अपनेको टोमस के शिष्य बताने लगे। इससे भी सन्तुष्ट न हो उन्होंने कहा, 'मैं वही पाराक्लिट है, जिसे ईमा उपरोक्त तीनो टोमसों पर ही झगड़ा है। इसमें मसीहने भविष्यत्में भेजने की प्रतिज्ञा की थी। मेरे देहमें दिव्यात्मा कोई सन्देह नहीं, कि शेषोत टोमससे भी पूर्व खाधीन भावसे रहता है।' भारतमें ईसाई धर्म आ घुसा था। ई०के ३२ शताब्दमें चमता देखकर पारस्य-राजन उन्हें निभ पुवकी चिकित्सा में लगाया हिपोलिटस्ने (Hippolytus, Bishop of Portus) था। किन्तु राजपुवको पारोग्य कर न सकनेसे पारस्य राजने उन्हें लिखा है, ईसाके बारह प्रधान शिथों में सेण्ट कारागारमें डाल दिया। कारागारसे मनि कौशलपूर्वक भागे, किन्तु फिर पकड़ लिये गये। २७७ ई०को जोनदिशापुरमें पारस्यराजके पादेशसे बार्थलमउ ( St. Bartholomew) ईसाई धर्म चलाने मनिका वध हुआ। शरीरका चर्म घातकने खींच उधेड़ डाला था । भारत गये थे। फिर सेण्ट टोमस पारस्य और मध्य- महास, टोमस, इरमूज प्रभृति कई शिष्य उनका निकाला मिश्रित ईसाई एसियामें ईसाई धर्म चला शेषको भारतके 'कालमिना' धर्म चलाते रहे। उनके प्रवर्तित ईसाई सम्पदायका नाम मनिकीय नगर पहुंच मरे। ( Manichaean ) है। ५४७ ई०को कोसमोस इण्डिकोप्लष्टेस्ने (Cosmos | यह सम्प्रदाय वर्तमान ईसाई समाजसे अनेक विभिन्न है। भनिने प्रचार Indico-pleustes) भी लिखा है-मलबारके किया था, इस दृश्यमान और अदृश्यमान जगतकै केवल दो मूल कारण है, एक सत् वा पालोक (सूक्ष्मप्रवति Good or light) और दूसरा तमः बिशप पारस्यसे नियुक्त हुये। किन्तु उन्होंने सेण्ट (नड़प्रकति Evil or Darkness)। मनिकीय उसो थातकी मानते टोमसका नाम नहीं लिया। यदि ईसाके शिष्य है। ममिकीयोंके मसमें यात्मा सूचाप्रवति और शरीर जड़प्रकृतिसे उपजा मेण्ट टोमससे मलबारवासी ईसाइयों का कोई है। यह शक्षिय अनन्सव्यापी सर्वशक्तिमान् जगदीश्वरका अशमाव है। संस्रव रहता, तो अवश्य ही उन्होंने लिख दिया एकमाव ईश्वरसे ही सशक्तिका ( Light ) मूल कारण निरुपित होता . होता। इससे समझ पड़ता है-ईसाके शिष्य सेण्ट है। तामसिक शक्ति ( Darkness )-का राज्य एकमाव प्रेत वा टोमस मलबार उपकूलमें अपना धर्म चलाने पाये तान् ( Demon ) द्वारा परिचालित है। परस्पर विरोध बढ़नेपर न थे। फिर भी उत्तर भारतके किसी स्थानमें वे ईश्वरने प्रेतको स्वर्गराज्यसे निकाल दिया था। प्रेसने समीराज्यसे मरे होंगे। आदि मानव ( Adam and Eve ) को बनाया। प्रेस हारा बनाये जानेसे ही मनुष्यके शरीर, पाप और पात्मामै पुग्यमे पाय लिया । .. मन्द्राजके पाचपर सेण्ट टोमस मामक एक पर्वत पात्मा भी क्रमशः पापक संसवसे कलुषित हो गया। कलुषित मानवके है। यहां प्राचीन पहलवी भाषामें क्रयपर खुदी एक | खिये इतरने पहले पृथिवी और पीछे देहपिचरसे पारमा निकालने क्या