पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१४१

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ईसाई १४० मानते भी अपना कर्मकाण्ड न छोड़ा। वे आज भी। किन्तु पोपको धर्मप्रणालीपर गड़बड़ पड़ा था। ई. सिरीयक भाषामें ही उपासना किया करते हैं। रवै शताब्दके मध्य भागमें (८६२ई०) पोप निकोलासने १६६५ई०को अन्तियोकके धर्माचार्यने अनाथ सिरी- जेरूसलमके धर्मगुरु फोटिउस को ( Photius ) अपने यक समाजकी रक्षा करने के लिये भार-ग्रेगरी नामक समाजसे निकाल दिया। फोटिउस ने उसी कारण एक बिशपको भारत भेजा था। मलबारमें पहुंचने एक साधारण धर्मसभा लगायी। इस सभामें रोमक- पर अनेक सिरीयक ईसाइयोंने मार-ग्रेगरीका मत समाजके प्रवर्तित कई मतपर विचारकार्य प्रारम्भ पकड़ लिया। उस समय सिरीयक ईसाई दो भागमें हुआ था- बंट गये थे। उनमें एक दलका नाम 'पजहइया रम-रोमक-समाजके मतमें ईश्वर और तत्पुत्र कुत्तकार' अर्थात् प्राचीन समाज है। उदयम्परको ईसासे दिव्यात्माने अवतरण किया है। किन्तु ग्रीक- महासभासे ही पजहेइया कुत्तकार' की उत्पत्ति है। समाज इस बातको नहीं सानता। इसके मतानुसार इस समाजके सिरीयक ईसाई पोपका प्राधान्य मानते दिव्यात्मा एकमात्र ईश्वरसे हो अवतीगा होता और हैं। फिर मार-ग्रेगरीसे 'युत्तेन कुत्तकार' अर्थात् तत्पुत्र कहाता है अथवा ईश्वरके पुत्र ईमामें ही नतन समाज निकला है। नतन समाज याकूबी दिव्यात्मा देखाता है। धर्ममतपर चलता है। इस दलके सिरीयक ईसाई श्य-याजक विवाहादि सांसारिक धर्म चला रोमके बिशप और नेष्टोरियास पर अनेक दोष न सकेंगे, केवलमात्र ब्रह्मचर्य को पकड़े रहेंगे। लगाते हैं। उनके मतसे ऋशारोपके पूर्वरान ईसाके ___श्य-पुरोहित दीक्षाके बाद किसी व्यक्तिका सशिष्य भोजीपलक्ष्यपर ईसाई समाजमें होनेवाले पर्वके धर्मसंस्कार कर न सकेंगे। दिन जो रोटी और शराब बंटती है, वही ईसाका प्रकृत इसी प्रकार कई मतविरोधसे रोम और कन- शरीर तथा रक्त ठहरती है। भारतके सिरीयक स्तान्तिनोपलका धर्मसमाज पृथक् हो गया। फिर ईसाई अधिकांश धीवर और नौकाजीवी हैं। ८६८ ई० में सम्राट् बेसिल ने एक सभा लगा उभय गौक-समाज। सम्प्रदायके मध्य शान्ति और एकताको स्थापन किया ईसाई सम्प्रदायमें ग्रीक समाजका कर्मकाण्ड और था। सर्व समाजका शोषस्थान रोम रहने और मतामत स्वतन्त्र है। ईसाइयों में इस स्वतन्त्र समाजके कनस्तान्तिनीपल अधीन बननेसे पोपके किये कार्य- जमनेका कारण यह है-ग्रीक ईसाइयोंने रोमके एक कलापपर हस्तक्षेप करनेको विशेष असुविधा पड़ने मात्र पोप और उनके बनाये नियमसे विरुद्ध माना | लगी। पोपके गर्व और प्रौद्धत्यसे धीरे धीर ग्रोक तर्कयक्ति लगा अपनेको विभिन्न बना लिया है। ईसायियोंका मन श्रद्धाहीन हो गया था। शेषका अाजकल ग्रीस, ग्रीसीय होपपुल, वालेसिया, मोल- १०५४ ई में कनस्तास्तिनोपलके धर्मगुरु माइकल दाविया, मिशर, आबिसौनिया, न्यूबिया, लिबिया, केरुलेरियास ने (Michael Cerularius) ईसाको मृत्यु परब, मेसोपटेमिया, सिरोया, साइलिसिया, पालेस्तिन, स्मरण रखनेके लिये शेष भीजपर्वको (Lucharist) रूस साम्राज्य, अष्ट्राकान, कासान, जर्जिया प्रभृति खालिस रोटोके (Unleavened bread) व्यवहार, स्थानवासी अधिकांश व्यक्ति इस समाजमें आ मिले । रविवारको क्रियाकलापके अनुष्ठान, शनिवारको हैं। यह समान तीन शाखामें बटा है। उनमें १म उपवासके शुभकार्य और यहटियोंके साथ एकत कनस्तान्तिनोपलके धर्मगुरु, २य ग्रीकराज और श्य वासकी बात उठा विवाद बढ़ाया। इसी समय पोप शाखा रूसी जारके अधीन है।* म लियोने केरुलेरियास को धर्मच्युत किया और . * सम्पति रूसियोंने जारको बन्दी पनापने देशमें साधारणतन्त्र समस्त ग्रीक धर्मप्रणालीको मिथ्या कह दिया। परि- पाया है। शेषपर उन्होंने निज दूत द्वारा माण्टा-साफियाके