पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१४२

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ईसाई १४१ धर्मगुरुको पदचुत किया। इसमें ग्रीक विद्देषानलसे १२, अदृष्टवाद पर विश्वास रखना चाहिये। जलने लगे थे। बस! चिरकालके लिये रोमक १३, गिर्जामें ताम्र एवं रौप्यके फलकपर मेरी समाजसे ग्रीक-समाज स्वतन्त्र हुआ। और उनके पुत्र ईसाको प्रतिमूर्ति खोदाकर रखना ग्रीक समाजके लिये ईसायियोंको निम्नलिखित ग्रीक समाजका मुख्य कर्तव्य है। व्यवस्थाके वशीभूत हो चलना पड़ता है,- १४, धर्मालयमें नियुक्त होनेसे पूर्व पुरोहित विवाह १, पोपका प्राधान्य कोई न मानगा। ग्रीक ईसाई कर सकते हैं। किन्तु विधवा-विवाह करनेपर कोई रोमकसमाजको यथार्थ काथोलिक समाज न समझेगे। याजक बन नहीं सकता। २, तीन वत्सरसे न्यून वयस रहते पुत्रादिको दीक्षा १५, कितने ही पर्व के दिन उपवास करना देना नियमविरुद्ध है। फिर अट्ठारह वत्सर तक चाहिये। दीक्षा दे सकते हैं। तीन बार जदैन नदीका जल ! १६, मृत्यु के पूर्वभोज (Lord's Supper) की-रोटी मस्थ पर छिड़क देनेसे ही दीक्षा हो जाती है। और शराब ईसाके मांस एवं रक्तका रूपान्तर समझी ३. ईसाके सशिष्य भोजपर्वमें ( Lord's Supper) जाती है। रोटी और शराब रहना चाहिये। दीक्षाके पोछे ही १७, गिर्जामें किसी प्रकारका वाद्ययन्त्र पावश्यक पवित्र भोज-सम्बन्धीय द्रव्य पुत्रादिको देना पड़ता है। नहीं। केवल गानसे ही उपासना होती है। ४, रोमक समाजको भांति पापका प्रायश्चित्त १८, यहूदियोंके पेण्ट कोष्ट (Pentecost) पर्व पर करनेकी कोई मुद्रा निर्धारित नहीं। . • घुटने टेक भजना और अपर सकल हो समय खड़े ५, रोमन काथोलिकोंके मतसे देह छोड़नेपर पाप- होकर उपासना करना पड़ती है। क्षालनके लिये जो स्थान होता, उसे ग्रीक समाज नहीं। १८, सभी को ऋश पहनना चाहिये। मानता; तथा मृतक शेष विचारसे कल्याण होनेको ___२०, स्त्री-पुरुष उभय ब्रह्मचर्य पावलम्बन कर भावनापर ईश्वरको उपासना करता है। सकते हैं। ६, ईखर और मनुष्यके मध्यस्थ समझ ग्रीक ईसाई __तुर्कराज्यके अधीन ग्रीसराज्य जानेपर यह धर्म- पुण्यात्मा साधु ( Saint ) लोगोंको पूजते हैं। समाज अतिशय विशृङ्खल हो गया था। उस समय ७, रोमक समाजका धर्मसंस्कार (Confirmation), कनस्तान्तिनोपलके धर्माचार्य ही ग्रीक और रूसी विपदजनक रोगमें पवित्र तैलम्रक्षण (Extreme unc- | समाजके दलपति बने थे। पीछे पोटर दी ग्रेटने (Peter tion) और विवाहबन्धन (Matrimony) छोड़ा गया है। the Great ) यह प्रथा उठा डाली। फिर ज़ार ८, चुपके चुपके पाप मान लेनेको ईश्वर आदेश द्वारा निर्वाचित धर्मसमितिने रूस राज्यके धर्मसमाज- नहीं देता। का कार्य चलाया। १८२८ ई०को स्वाधीन होनेपर , ईसाको मृत्युसे पूर्वका भोजपर्व (Eucharist) ग्रीसके सभापति कापोदिस्त्रियस ने नतन राज्यको धर्मकाण्ड में गिना नहीं जाता। भांति समाजको भी पृथक कर लिया था। आज- १०, रोगी एवौं बलिष्ठ व्यक्ति उभय भोजके अंशका कल समग्र ग्रीस राज्यका धर्मकार्य सिर्फ दश बिशप अधिकार रखते हैं। किन्तु जो पुरोहितके (Con चलाते हैं। fessor) निकट पापको स्वीकार करता है, उसे उक्त धर्मविषयमें पोपका एकाधिपत्य मान और अपने अंश बांटकर देना नहीं पड़ता। क्योंकि धर्मविश्वासी अपने समाजका कार्यकलापादि पालकर जो सम्प्रदाय व्यक्ति मात्र इस भोजका अंश पानके उपयुक्त होते हैं। रोमक समाजका प्राधान्य स्वीकार करता है, उसका ११, केबल एकमात्र ईश्वरसे ही दिव्यामा आविभूत | नाम 'दी यमाइटेड ग्रीक चर्च' (The United Greek होते हैं। .. Church ) पड़ता है। Vol. III. 36