पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१५२

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उकवथ-उक्तवर्ज शिक्षक और आदिनिवासका विषय अज्ञात है।। उकिड़ना, उकलना देखो। . कोई-कोई इन्हें भूलसे सोक्रतिस के शिष्य मेगारन्सिस उकिलना, उकलना देखो। . समझते हैं। मिथके राजा १म टलेमोके समय उकिलवाना, उकलवाना देखो। (ई से प्रायः ढाई तीन सौ वर्ष पहले) ये विद्यमान उकिसना, उकसमा देखो। 'थे। उकलेदने अलेकज़न्द्रियाको सुप्रसिद्ध गणितपाठ-उकोरना (हिं. क्रि०) १खनन करना, खोदना। शाला खोली थी। ये मृदस्वभाव, निश्छल और गणित | २ उखाड़ डालना. नोच लेना, ढकेल देना। . के प्रकृत विद्यार्थियोंपर कपालु रहते थे। ज्यामिति देखी। उकुण (सं० पु.) १ शिर:कोट, जू, चिबड़। २ मत्- उकवथ (हिं.) उकौत देखो। कुण, खटमल। उकवां (हिं० कि. वि.) अनुमानसे, अन्दाजन, उकुति (हिं.) उक्ति देखो। मोटे हिसाबमें। उकुति-जुगुति (हिं.) उक्तियुक्ति देखो। उकसना (हिं० कि०) १बाहर निकलने की चेष्टा उकुरु, उकडू देखो। करमा, झगड़ना। २ फूलना, उछलना, फटना, निकल उकुसना, उकसना देखो। पड़ना। ३ उत्तेजित होना, जोशमें पाना, उभरना। उकेलना (हिं० क्रि०) निकाना, उधेड़ बुन करना, ४ उधड़ आना, टूटने लगना। उचाड़ डालना, बकला निकालना। उकसनि (हिं० स्त्री०) उत्तेजना, उभार, घबराहट, उकेला (हिं० वि०) १ उधेड़ा, उचाड़ा, निकाया। उधेड़, टूट। (पु.) २ कम्बलका बाना। उकसवाना (हिं० कि०) बाहर निकालनेको चेष्टा उकौथ (हिं.) उकौत देखिये । कराना, झगड़ाना, निकलवा देना। उकौथा (हिं०) उकौथ देखिये । उकसाई (हिं॰ स्त्री०) निकलवा देनेका काम, | उक्त ( स० वि०) १ कथित, कहा हुआ। (क्लो०) उभराई, निकसाई, हटाई।। २ शब्द, वाक्य, लफूज, जुमला। "दमडीका बुलबुल टका उकसाई।" (लोकोक्ति) उक्तत्व (सं० लो०) कथनका भाव, कहे जानेको 'उकसाना (हिं. क्रि०) १ उठाना, चढ़ाना, संचा| हालत । करना। २ आगे बढ़ाना, सुलगाना, भड़काना। उक्तनिर्वाह (स.पु.) कथनका पालन, बातका ३ हांकना, चलाना। ४ प्रलोभन दिखाना, बरगलाना, निबाह । हिम्मत देना। ५ हटाना, दूर करना। उत्तेजित | उक्तस्क (सं० लो०) शब्दविशेष, एक लफज़ । करना, उभारना। ७ छेड़ना, जलाना। जिस स्त्रीलिङ्ग शब्दका पुलिङ्ग भी रहता है, वही उकसौंहां (हिं. वि.) उठता हुअा, जो उभर रहा हो। इस नामसे पुकारा जाता है। ऐसे शब्दोंके अर्थ में उकाब (अ० पु०) गरुड़, गृध्र, गोध। इसको दृष्टि सिवा स्त्रीलिङ्ग और पुलिङ्गके दूसरा भेद नहीं बहुत तीव्र होती है। सुनते हैं-उकाब या शार्दूल- पड़ता। जैसे शोभना शब्द उक्तस्क है, किन्तु गङ्गा को छाया पड़नेसे दीनदरिद्र भी राजा बन जाता है। सब्द नहीं। उकारान्त (सं० त्रि०) उकारको अन्तमें रखनेवाला, उक्त प्रत्युक्ल (सं० लो०) वाक्य एवं उत्तर, वार्तालाप, जिसके अखोरमें उ हर्फ रहे। . सवालजवाब, गुफ तगू, कहासुनी, बातचीत। “उकालना, उकेलना देखो। उक्तवत् (सं० वि०) कथन कर चुकनेवाला, जो उकासना, उकसाना देखो। बोला हो। "उकासी (हिं. स्त्री०) १ उद्घाटित होनेको स्थिति, उपज (सं० अव्य.) कथित विषय भिव, कही हुई खुल जानकी हालत। २ उत्सव, छुट्टी, फुरसत। | बातोंको छोड़कर। ............