उचान्न-उखाड़ १५३ उमान (वै. वि.) वृषभक्षक, बैलका गोश्त- । उखड़ाई (हिं. स्त्री०) उखाड़नेका काम । खानेवाला। उखभोज (हिंषु०) इक्षुवपनोत्सवका विशिष्टान- उक्षाल (सं० वि०) १ त्वरित, फुर्तीला। २ श्रेष्ठ, सम्भार, जख बोनेकी जियाफ़त। कृषक इक्षु बोनेके बड़ा। ३ कराल, कड़ा। ४ उत्कट, डरावना।। प्रथम दिवस यह भोज देते हैं। (पु.) ५ वानर, बन्दर । | उखम (हिं• पु०) उम, ताप, गरमी, हरारत। उक्षित (सं० वि०) उक्ष -त। १ सिक्त, सिंचा या (स्त्री०) उखमा। धुला हुआ। २ लिप्त, लगा हुआ। ३ शक्तिशाली, उखमज (हिं० वि०) १ उमज, गर्मोसे पैदा। ताकतवर। ४ वृद्ध, पुराना । (पु०) २ उमज जीव, गरमोसे पैदा होनेवाला कोड़ा। उख-भादि० पर० सक० सेट् धातु। यह गमन पर्थमें उखर ( स० क्लो०) १ क्षारभूमि, रेतीली जमौन्। श्राता है। २क्षारमृत्तिका, शोरा। इसे उपर भी लिखते हैं। उख्ख (स० वि०) उख-क। १ गमनकारी, चलने- (हि.) ३ लाङ्गलपूजन, हलकी पूजा। यह ऊख वाला। उत्-खन्-ड निपातनात् तत्लोपः। २ अर्व बोनेके बाद होता है। दिक् खनन करनेवाला। (वै० पु०) ३ पात्र, बरतन। उखरज (सं० ली.) १ पांशुलवण, शोरा। २ अय- ४ तित्तिरिके एक शिष्यका नाम । स्वान्त भेद, एक लोहा। ३ लवण, नमक ।' उखच्छिद् (वैत्रि.) पात्र तोड़नेवाला। उखरना, उखड़ना देखो। सखटना (हिं. क्रि०) १ इतस्ततः पद पड़ना, अच्छो उखराज, उखभोज देखो। तरह चल न सकना, ठोकर खाना, लड़खड़ा जाना। उखवैल (सं० पु.) तृणविशेष, एक घास। यह बला, २ थिरकना, धीरे-धीरे चलना । ३ खुटकना,तोड़ लेना। रुचिजनक और पशुके लिये सदा हितकर होता है। उखड़ना (हिं० कि०) १ निमूल होना, उपटना, (राजनिघण्ट) जड़से टूट जाना। २ निकल पड़ना, अलग होना। उखल, उखल देखो। ३ टना, कटना। ४ छटना। ५ स्थानच्य त होना, उखलना (हिं० क्रि०) खौलना, गर्म होना। जगह छोड़ना।६ उद्घाटित होना, खुलना । ७ पतित | उखली (हि स्त्रो०) उलखल, हावन, कूडी। बङ्गालमें डोना. गिरना। ८ बिगड़ना। बन्द होना। यह पात्र काष्ठमय होता है। मध्यस्थलमें एक हस्तके १० बैतान गाना। ११ सम्मान खोना, इज्जत गंवाना। प्रमाण गड्डा रखते हैं। इसी गड्डे में अब डाल और १२ बेपरवा होना, फिक्र न करना। १३ अप्रसन्न सुषलसे मार तुष कुड़ाते हैं। किन्तु हिन्दुस्थानि- होना, बिगड़ पड़ना। १४ हताश होना, दिल टटना। योंके घरमें यह पत्थरको होती, और जमीन में गडी १५ बदलना। १६ बिखरना । १७ हटना। १८ रहती है। “उखलीमें मूड डाल चोटसे क्या डरना।" (लोकोक्ति) मिटना। १८ डरना। २. बाहर होना। २१ राह उखहाई (हिं० स्त्रो०) ऊखको चुसाई या खवाई। पकड़ना । २२ भागना । २३ सरकना। २४ लोप हो उखा (सं० स्त्री०) १ रन्धनस्थाली, देग, बटलोई। जाना। २५ खुदना। २६ गमन करना। २७ फूट २ चूल्हा । ३ शरीरका अवयव, जिस्मका एक हिस्सा । पडना । २८ लड़ खड़ाना। २८ हारना। ३० हांपना। (हिं०) उषा देखो। ३१ रुकना। तीव्र भाषाको उखड़ी-उखड़ी बातें, उखाड़ (हिं० पु.) १ उच्छद, बेखकनी, उखाड़ने मुंह फेर लेनेको उखेड़को लेना और दण्ड देनेको का काम । २ मल्लयुद्धका हस्तलाघव, कुश्तीका एक काम उखाड़ना कहते हैं। दांव। अपने साथ लड़नेवालेको कमर पकड़ कर उखड़वाना (हिं.क्रि.) उखाड़नेको पादेश देना, ऊपर उठा. भूमिपर पटक देनका नाम उखाड़ है। भन्यके द्वारा उखाड़ने का कार्य कराना। | पिशुनता और निन्दाको उखाड़-पछाड़ कहते हैं। Vol IIL. 39
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१५४
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