पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१८१

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१८० उउभाड़-उज्छ उज्झड़ (हिं० वि०) अत्यन्त जड़, बेवक फ़, जिसे | उजविरासत (अ॰ स्त्री०) अंशदायको आपत्ति, . जरासी भी समझ न रहे। बपौतीको बहस। उज्मन (सं० ली.) उज-झा-त्युट । उझकना (हिं. क्रि०) १ देखनेके लिये पदाग्रपर छोड़ाई। (मिताचरा) खड़े होना, उचककर झांकना। २ अकस्मात् गिर उज्झित (सं० त्रि०) उज्-झा-त । १ त्यक्त, वर्जित, पड़ना, एकायेक ऊपरसे नीचे आना। ३लम्फन छोड़ा हुआ। २ उपशमित, दबाया हुआ, जो राक! करना, कूदना-फांदना। ४ उन्नत होना, ऊंचा पड़ना। दिया गया हो। ५ चकत होना, चौंक उठना! उज्यारा, उजाला देखो उझकुन, उचकन देखी उज्यारो, उनालौ देखो: उझलना (हिं.क्रि.) १ एक पानसे दूसरेमें उडे . उज्यास, उजास देखो। लना, बहाना, धार बांधके डालना, ढालना। २ उन्नत उजर (अ० पु.) १ प्रायत्ति, बहस। २ छल, | होना, बढ़ना, उमड़ उठना। बहाना। "कुकरको उच्च है, चाकरको उच्च नही।" (लोकोक्ति)| उझांकना (हिं० क्रि.) झांकना, उचक उचकक ३ विनय, प्रार्थना, आरज, मिन्नत। देखना। उन,कवी (अ. स्त्री०) प्रबल आपत्ति, जोरदार बहस । उझारी-युक्तप्रान्तके मुरादाबाद जिलेका एक गांव । उच्चकान्नी (अ० स्त्री०) न्यायरूप आपत्ति, कानन यह अक्षा० २८° ३८ ३०“उ० और ट्राधि० ७८° २३ का उज। ५५“पू०पर अवस्थित है। उझारी हंसपुर तहसीलमें उज्जववाही (अ० स्त्री०) १ अन्तेष्टि क्रियामें उप लगती, जो साढ़े ७ मील दक्षिणपूर्व पड़ती है। स्थित हो न सकनेकी प्रार्थना ! २ अनुशोचन, सम्परि पांच मसजिदोंमें मुसलमान-साधु शाह दाऊदका वेदन, मातमपुरसौ। मकबरा भी है। सप्ताह में एक बार बाजार लगता है। उच्चगलती (अ० स्त्री०) भ्रमको आपत्ति, भूलको | उझालना, उझलना देखी। बहस। उझिलना, उझलना देखो। उज्जज़बानी (अ० स्त्री०) वाचिक आपत्ति, बातोंको | उझिला (हिं. स्त्री० ) १ अङ्गप्रलेपार्थ पक्क सांप, बहस। जो सरसों उबटनके लिये उबाली गयी हो। २ क्षेत्रके . उज्जतमहीदी (अ॰ स्त्री०) प्राथमिक आपत्ति, शुरू उच्च स्थानको खोदी हुयी मृत्तिका, जो मट्ठी खेतको. को बहस। ऊंची जगहसे खोदकर निकाली गई हो। इससे उच्चदार (अ. पु०) आपत्ति उठानवाला, जो बहस पास के गड्डे भरे जाते हैं। ३ भोजन विशेष, एक करता हो। खाना। चुवा महुवा और पोस्तका दाना मिलकर उजदारी (अ॰ स्त्री०) १ आपत्तिका उल्लेख, बहसका . उबालनेसे उझिला बनता है। बयान्। २ प्राकसूचन, निषेध, उमानात तजवीज उझीना ( हिं० पु०) अहरा, कौड़ा, जलाने के लिये मुकद्दमको मुरादका एलान्। . सुधार कर रखा हुअा कण्डोंका ढेर। उज्ज,फरेब (अ० स्त्री०) छलकी आपत्ति, धोकेको बहस। उञ्चास, उनचास देखो। उजमाकू,ल (अ० स्त्री०) प्रबल आपत्ति, जो बहस उञ्छ ( स० पु० क्लो०) उछि-घञ् । १ ऋत, शिल्प, माक ल हो। धान्चकणाग्रहण, खोशाचीनी, सिल्लेकी बिनाई। .. उज्जमाज रत (अ० स्त्री०) विनय, प्रार्थना, मिन्नत ।। "शिलोञ्छमप्याददौत विप्रोऽजीवन् यतस्ततः। उज्जमुद्दालेह (अ० स्त्री०) प्रतिवादीको आपत्ति, प्रतिग्रहाच्छिलः ये यांस्ततोऽञ्छः प्रशस्यते ॥” (मनु १०।११२)- बचावको बहस। . . जीविका चला न सकने पर ब्राह्मणको शिलोञ्छ..