पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२२९

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२२८ उदकषट्पलत-उदग्दश उदकषट्पलघृत (स'• लो०) अर्थोरोगका घृत- उदक्त (सं० त्रि०) उद-अन्ज-ता। १ कूपसे उत्तो. विशेष, बवासीरको बीमारीका एक घो। यवक्षार, लित, कुवेंसे निकाला हुआ। २ उस्थित, उठा या चढ़ा पिप्पलीमूल, चव्य एवं चित्रक एक एक पल ले कल्क | हुआ। ३ प्रेरित, पहुंचाया हुश्रा। ४ कथित,. बनाये और 8 शरावक तिलका तेल तथा १२ शरावक कहा हुआ। दग्ध डाल ४ सेर घत पकाये। इस घतसे ज्वर,अश, लोहा उदक तात (वै. अव्य०) उत्तरको ओर,शिमालकी तफ। और कासका रोग नष्ट होता है। (चक्रपाणिदत्तक्कत संग्रह) उदक्पथ (स० पु०) उत्तरीय देश, शिमाली मुल्क । उदकसक्त (सं० पु०) भाद्रोक्त पिष्टशालि, पानौसे उदक प्रवण (सं० त्रि०) १ क्रमशः दक्षिणसे उत्तरको तर किया हुआ सत्तू।। निम्न, सिलसिलेवार जनबसे धिमालको ढला हुआ। उदक स्पर्श (सं.वि.) १ जलसे शरीरके विभिन्न ( कात्यायनश्रौतसूत्र २१॥३।१६) २ उत्तरमार्गगामी, शिमाली- भङ्गस्पर्श करनेवाला। २ प्रतिज्ञाको मूर्ति के लिये राहसे जानेवाला। जलको छनेवाला। "उदकप्रवणो यचो यवैवमुटु ब्रह्मा भवति ।" (छान्दोग्य उप० ४११६) उदक हार (स' पु०) जलवाहक, पानी ले जानेवाला। | 'उदक्प्रवय: उत्तरमार्ग प्रति हेतुरित्यर्थः।' (माष्य) उदकान्त (सं० ली.) जलका तट, पानी या दरयाका उदय (सं० त्रि.) उदकमहति, उदक-य। दण्डादिभ्यो किनारा। यः। पा ५१६६ । १ जलमें होनेवाला। २ जलम्राना, उदकार्थिन् ( स० त्रि.) ढषित, प्यासा, पानी मांगने- पानी में धोया जानेवाला। (पु.) ३ जलयोग्य व्रीहि वाला। प्रभृति, पानीमें उपजनेवाला अनाज वगैरह। उदकाहार (सं० पु०) जलका आकर्षण, पानी उदक्या (सं० स्त्री०) उदक संज्ञाया यत्-टाप। खींचनेका काम। दिगादिभ्यो यत्। पा ४।३।५४ । रजखला, जो औरत कपडोसे उदकिका (स स्त्री०) बलानाम क्षुप, बरियारी, | हो। “नोदक्ययाविभाषे त् यज्ञ गच्छेन्नचाहतः।” (मनु) गुलशकरी। उदगद्रि (स• पु०) १ उत्तरीय पर्वत, शिमाली पहाड़। उदकिल, उदकवत् देखो। । २ हिमालय। उदकी ( स० स्त्री०) पाठा, पारी, हरज्योरी। उदगयन (सं० लो०) उत्तरायण, सूर्य के दक्षिणसे उदकोण (म. पु०) महाकरज, बड़ा करोंदा। यह | उत्तरको ओर झुकनेका समय। पानी में होता है। उदगरना (हिं.क्रि.) १ उद्गारण होना. भीतरसे उदकीय, उदकौर्ण देखो। बाहर निकलना। २ प्रकाश पाना, खुल जाना। उदकीर्या (स. स्त्री०) पूतीकरञ्ज, करञ्ज। ३ उत्तेजित होना, तेज़ पड़ना। उदकुम्भ, उदककुम्भ देखो। उदगगल (सं० पु०) पृथिवीके स्थानविशेषमें जलका उदकेचर (स० वि०) जलचर, पानी में रहने या अनुसन्धान, पानीका पता। यह एक ज्योतिषसम्बन्धीय चलने-फिरनेवाला। विद्या है। इससे समझ सकते हैं-किस स्थानपर उदकेविशीण (सं० त्रि०) जलमें शुष्कीभूत, पानीमें | कितना गहरा खोदनेसे पानी निकलेगा। सूखा हुआ। यह शब्द उपमाको भांति असम्भव उदगारना (हिं.क्रि.) उद्गार करना, निकाल विषयके लिये पाता है। डालना। उदकोदञ्जन, उदककुम्भ देखो। उदग्ग (हिं.) उदय देखो। .... उदकोदर (संपु.) जलोदरनाम रोग। उदर देखो। | उदग्दश (सं० ली.) उदक उत्तरा दशा यस्य । उदकादन ( स० पु०) जल के साथ पक्वशालि, पानी में | १ उत्तराग्रवस्त्र, कपड़का जो किनारा शिमालको तर्फ उबाला हुमा चावल। झुका रहे।