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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२५५

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२५४ उदुम्भल-उद्गमनीय उदुम्भल, उदम्बर देखो। उनके १०५००० रु. अंगरेज सरकारको देने पर राजी उदुष्टमुख (वै० त्रि०) अश्वसदृश रक्तवर्ण मुखयुक्त, होनेसे गायकवाड़ने यह राज्य अंगरेजोंके अधीन घोड़ेकौ तरह लाल मुह रखनेवाला। बनाया। राजाको बदलेमें सम्मानार्थ सरोपा और उदूखल (सं० लो०) १ तण्डुलादि कण्डनार्थ काष्ठ गायकवाड़के ग्रामोंसे कुछ रुपया मिला करता है। पात्र, चावल वगेरह कूटनेको लकड़ीका बरतन, उदै (हि.) उदय देखो। ओखली, इमामदस्ता। २ गुग्गल, गूगल । उदो (हिं०) उदय देखो। उदृखलसन्धि (सं० पु०) उदखलाकारग्रीवोधंगत-उदोजस् (वै० त्रि.) अतिशय प्रचण्ड, निहायत सन्धि, अोखली-जैसा गर्दैनके ऊपरका जोड़। ताकतवर। उदृढ़ (सं०वि०) उत्-वह-त । १ विवाहित, व्याहा।। उदोत (हिं०) उद्योत देखो। २ स्थल, मोटा। ३कृत, वाहित, असली। ४ उन्नत, उदोतकर (हिं० वि०) प्रकाशक, रौशनी बखशनेवाला। ऊंचा। उदोती, उद्योतकर देखो। उदल (अ.पु०) शासनभन, नाफरमानी, हुक्म न उदौ (हि.) माननेकी बात। उदौदन (स० पु०) जलसे सिद्ध अन्न, पानीमें उदलहुक्म (अ.वि.) आज्ञाभङ्गकारी, नाफरमान, पकाया हुआ चावल। जो हुक्म् मानता न हो। उद्गत (सं० वि०) उत्-गम-त । १ उस्थित, उठा हुश्रा। उदूलहुक्मी, उटूल देखो। . २ उत्पन्न, पैदा । ३ उदित, निकला हुआ। ३ विगत, उदेग (हिं०) उद्दे ग देखो। गया हुआ। ४ त्यक्ता, फेंका हुआ। उदेजय (सं० त्रि०) उत्-एज-णिच-खश् । १ उद्देग- उद्गतशृङ्ग (सं० वि०) उद्गतशृङ्ग (स० वि०) नतन शृङ्गयुक्त, निकलते कारक, घबरा देनेवाला। २ भयप्रद, खौफनाक ।। सींगोवाला। ३ उत्कम्पजनक, कंपा देनेवाला। उगता (सं० स्त्रो०) विषमवृत्तिछन्दका एक भेद। उदेपुर-बम्बईप्रान्तस्थ रेवाकांठे जिलेके छोटे उदेपुर इसमें चार पाद पड़ते हैं। पहले तीनमें दश दश राज्यका प्रधान नगर। यह अक्षा० २२.२० उ. और पिछले चौथे पादमें तेरह अक्षर लगते हैं। . और द्राधि०७४.१ पू० पर, समतल भूमिमें अवस्थित "सजसादिमे सलघुकी च नसजगुरुकैऽरथोद्गता। है। इसके निकट ही ओड़सङ्ग नद उत्तरपश्चिम बद्यविगतभनजलगा युताः सजसा जगौ च चरणमकतः पठेत् ॥" घम पड़ा है। नगरको दक्षिण भोर उक्त नद और (वृत्तरबाकर) पूर्व ओर विचित्र इद पड़ता, जिसके किनारे घना उद्गतासु (सं० त्रि०) मृत, मुर्दा, मरा हुआ। जङ्गल मिलता है। १८५८ ई०के दिसम्बर मास उद्गति (सं० स्त्री०) उत-गम-क्तिन्। १ अर्वगति, ब्रगेडियर पार्कने ह्रदको ओर सुन्दर आम्रवन एवं चढ़ाव। २ उदय, निकास । ३ उत्पत्ति, उपज । नदौके मध्य तांतिया तोपीको फौजको भगाया था। उदगन्धि (सं० त्रि०) उत्कृष्ट गन्धयुक्त , खुशबूदार । हुदके पार्खपर एक मनोरम देवमन्दिर बना है। राज- उद्गम (सं० पु.) १ उत्थान, उठान। २ उत्पत्ति, प्रासाद बहुत ऊंचा है। शहरपनाह पूरी नहीं, पैदायश। ३ उदय, निकास। ४ अर्ध्वगति, चढ़ाई। अधूरी खड्ने है। नगरमें कोई वाणिज्य व्यवसाय नहीं | ५ वान्ति, के, उलटी। होता। लोग राज्ययर ही अपने जीवन निर्वाहार्थ उगमन (सं.ली.) सद्गम देखो। निर्भर हैं। ई०का १८ वां शताब्द लगते अलीमोहनसे उदगमनीय (सं० लो० ) उत्-गम-अनीयर् । १ धौत- राजधानी उठकर यहां आयी थी। पहले राजा | वस्त्रद्दय, धोया जोड़ा। (त्रि.) २ अर्ध्वगमनके योग्य, गायकवाड़को कर देते रहे। किन्तु १८२२ ई में | चढ़े जाने काबिल।